कहा जाता है कि इस दिशा के देवता कुबेर और ग्रह स्वामी बुध है।यह माता का स्थान होता है और यह दिशा खाली ही रहनी चाहिए इसमें किसी भी प्रकार की कोई भी वस्तु न रखें
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ईशान कोण
इस दिशा में जल और भगवान शिव का वास होता है साथ ही गुरु ग्रह को इस दिशा का स्वामी माना जाता है
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पूर्व दिशा
इस दिशा में स्वामी सूर्य देव साथ ही इंद्र देव भी होते हैं शास्त्रों के अनुसार यह दिशा खुली ही रहनी चाहिए
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आग्नेय कोण
यह दिशा अग्नि और मंगल का स्थान माना जाता है साथ ही शुक्र ग्रह को स्वामी माना जाता है
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दक्षिण दिशा
इस दिशा में काल पुरुष का बायां सीना किडनी बाया फेफड़ा आतें हैं एवं कुंडली का दशम घर है यम के आधिपत्य एवं मंगल ग्रह के पराक्रम वाली दक्षिण दिशा पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाली दिशा मानी जाती है
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प्रतिमा
उत्तर –पूर्व दिशा में मां सरस्वती साथ ही गणेश जी की प्रतिमा आवश्य लगाएं ऐसा करना शुभ होता है
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दक्षिण–पूर्व दिशा
इस दिशा में कक्ष की व्यवस्था भूलकर भी नहीं करनी चाहिए यह काफी अशुभ होता है ऐसा करने से घर की शांति दूर हो जाती है
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