नौकरी छोड़ मूर्ति बना रहे इंजीनियर और बैंकर्स
महाराष्ट्र के पुणे से 120 किमी दूर रायगढ़ जिले में पेण तालुका है यहीं पड़ता है हमरापुर. हो सकता है आपने कभी हमरापुर का नाम न सुना हो, लेकिन ये गांव बहुत खास है
महाराष्ट्र के पुणे से 120 किमी दूर रायगढ़ जिले में पेण तालुका है यहीं पड़ता है हमरापुर. हो सकता है आपने कभी हमरापुर का नाम न सुना हो, लेकिन ये गांव बहुत खास है. रायगढ़ जिले के हमरापुर में 100 साल पहले एक कारीगर ने मिट्टी से भगवान गणेश की मूर्तियों को बनाना शुरू किया. अब यहां पर हर साल 3 करोड़ मूर्तियां बनाई जाती हैं. यहां पर सालाना 80 से 90 करोड़ रुपये का मूर्ति बनाने का काम होता है. मूर्ति बनाने का कारोबार इतना फल-फूल चुका है कि इंजीनियर और बैंकर्स अपनी अपनी नौकरियां छोड़कर यहां आ गए और मूर्तियां बनाने लगे. हमरापुर की पहचान ‘इंडिया के गणपति मार्केट’ के तौर पर होती है. 418 घरों वाले हमरापुर गांव में मूर्ति बनाने के लिए 500 फैक्ट्रियां लगाई गई हैं.
हमरापुर गांव में बनने वाली गणपति मूर्तियों की इतनी अधिक डिमांड है कि खरीददारों की वजह से डेढ़ से दो किमी लंबा जाम तक लग जाता है. हमरापुर में बनी मूर्तियों की डिमांड महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में ज्यादा है. गांव के बाहर बड़े-बड़े ट्रकों में मूर्तियों को लोड किया जाता है. मूर्ति खरीदने के लिए मुंबई, पुणे जैसे शहरों से लोग आते हैं. हमरापुर गांव की मूर्तियां सिर्फ देश में ही फेमस नहीं हैं, बल्कि इसकी अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में मांग है.
यहां से मूर्तियों को विमानों के जरिए भेजा जाता है. गांव में गणेश चतुर्थी के त्योहार के मौके पर तीन करोड़ से ज्यादा मूर्तियों को बनाया जाता है. मूर्ति बनाने के काम से हो रहे फायदे ने लोगों को अपनी नौकरियों को छोड़ने पर भी मजबूर किया है. इंजीनियर और बैंकर्स को अपनी नौकरी से ज्यादा फायदा मर्ति बनाने में हो रहा है. मुंबई के श्रीराम पाटिल ने अपने घर में ही कारखाना लगाया है. उन्होंने अपने कारखाने में ट्रेडिशनल मूर्तियों की जगह अलग-अलग तरह की प्रतिमाएं बनानी शुरू कर दी. उनकी मूर्तियां इतनी फेमस हो गईं कि विदेशों से ऑर्डर मिलने लगे. पिता के कारोबार में उनके दो इंजीनियर बेटों ने भी हाथ बंटाना शुरू कर दिया. अब ये लोग लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं.
हालांकि कोरोना की वजह से इन लोगों को 25 से 30 करोड़ का नुकसान हुआ था लेकिन इस बार 90 करोड़ से ज्यादा के आर्डर भी मिले हैं. इन लोगों को नौकरी से चार गुना ज्यादा कमाई मूर्ति बनाने के काम से हो रही है. 1,820 आबादी वाले गांव के हर घर से कोई न कोई गणेश प्रतिमा बनाने के काम से जुड़ा है. गांव के 10 हजार से ज्यादा लोग मूर्ति बनाने का काम करते हैं. ज्यादातर लोगों ने अपने घर को ही गोदाम और कारखाने में बदल दिया है. देशभर से 25 से 30 लाख लोगों गांव में बनने वाली मूर्तियों की वजह से रोजगार मिल रहा है. पेण तालिका में 5 इंच से लेकर 20 फीट तक ऊंची मूर्तियों का निर्माण किया जाता है. जिसकी कीमत 150 रू से शुरू होकर डेढ़ 2 लाख रू तक कि है. बप्पा की कृपा से ही बरसों से यहां पर मूर्ति बनाने का काम चल रहा है.