देश में ई-फार्मेसी के बंद होने की आशंका, केंद्र सरकार को FICCI ने लिखा पत्र

फिक्की ने अपने पत्र में कहा कि “ई-फार्मेसी वर्किंग ग्रुप, इसमें इंडस्ट्री के लीडर शामिल हैं, सभी रीप्रजेंटर कार्यक्रमों के माध्यम से फिक्की चुनौतियां का समाधान कर रहा है”।

Nisha Srivastava
Nisha Srivastava

E-Pharmacy : देश में कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए साल 2020 में तालाबंदी की गई थी जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने को रोका जा सके। पूरे देश में कई चरणों में लॉकडाउन लगाया गया। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में लॉकडाउन की घोषणा की थी।

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने 24 मार्च 2020 को देश में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया था। इस दौरान देश में जरूरी सुविधाओं को छोड़कर सभी ऑफिस, स्कूल-कॉलेज, दुकानों को बंद कर दिया था। लॉकडाउन के समय ऑनलाइन सर्विस के माध्यम खाने का सामान, दूध-दही, दवाईयां ऑनलाइन लोग घर बैठे ऑर्डर करते थे।

आपको बता दें कि लॉकडाउन के समय दवाइयों की सबसे ज्यादा ब्रिकी ऑनलाइ यानी ई-फार्मेसी से माध्य से की जाती थी तभी से आज भी अधिकतर लोग दवा मंगवाने के लिए ई-फार्मेसी का इस्तेमाल करते हैं। अब केंद्र सरकार ग्राहकों की डाटा प्राइवेसी, गलत प्रैक्टिस व दवाओं की बेसलेस सेल को देखते हुए, ऑनलाइन फार्मेसी के खिलाफ नियमों व सख्त कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।

FICCI ने लिखा पत्र

भारत सरकार के ई-फार्मेसी को बंद करने के विचार को लेकर फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा है। आपको बता दें कि फिक्की ने सरकार के इस विचार को लेकर चिंता जताई है और 28 फरवरी 2023 को सरकार को लेकर लेटर लिखा है।

फिक्की ने अपने पत्र में कहा कि “ई-फार्मेसी वर्किंग ग्रुप, इसमें इंडस्ट्री के लीडर शामिल हैं, सभी रीप्रजेंटर कार्यक्रमों के माध्यम से फिक्की चुनौतियां का समाधान कर रहा है”।

लॉकडाउन में ई-फार्मेसी से हुआ लाभ

फिक्की ने अपने इस पत्र में कहा कि “आज भारत में डिजिटल हेल्थ सिस्टम को विकसित करने की आवश्यकता है”। “देश में कोरोना काल में ई-फार्मेसी को काम करने की इजाजत दी गई थी, तब सभी लोग ऑनलाइन दवाओं को मंगवा रहे थे, लॉकडाउन के दौरान ई-फार्मेसी एक जरूरी सेवा के रूप में साबित हुई थी”।

फिक्की ने आगे कहा कि “ई-फार्मेसी दवाओं की पूरी ट्रैकिंग के साथ, सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा के लिए अच्छा विकल्प साबित होती है”। फिक्की ने बताया कि “देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोडिव-19 काल के दौरान खुद ई-फार्मेसी के योगदान को पहचाना और तारीफ की। कोविड के समय ई-फार्मेसी ने संकट की घड़ी में घर-घर जाकर ऑर्डर की डिलीवरी की थी”।

ग्रामीण इलाकों में पहुंच

स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में फिक्की ने कहा कि गांव के इलाकों में भी ई-फार्मेसी के के माध्यम से दवाई पहुंचाई जा रही है। फिक्की ने पत्र में कहा कि ''इस साल जी-20 की अध्यक्षता के दौरान डिजिटल स्वास्थ्य भारत के लिए ध्यान केंद्रित करने का एक प्रमुख क्षेत्र है”।

फिक्की ने आगे कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल स्टोर और दवाइयों की सप्लाई के ऑप्शन कम हैं जिसके कारण अकसर गांव में दवाइयों के स्टॉक खत्म हो जाते हैं”।

“लेकिन ई-फार्मेसी की मदद से गांव-गांव तक दवाईयां पहुंचाई जाती है और लोगों को किसी तरह की दवाओं के आउट स्टॉक की समस्या का समाना नहीं करना पड़ता है”।

ई-फार्मेसी नौकरी घटने का कोई आधार नहीं- फिक्की

पत्र में बताया गया कि “ऐसी किसी भी आशंका का कोई आधार नहीं है कि ई-फार्मेसियों से देश भर में नौकरियां घटेंगी”। फिक्की ने कहा कि ई-फार्मेसी के माध्यम से बेरोजगारों को नौकरी का सुनहरा अवसर दिया गया है।

कोविड काल में भी तंगी के बीच ई-फार्मेसी कंपनियों में काम करने लोग अपने घर का खर्चा चलाने में सक्षम रहे। बात दें कि एक रिपोर्ट मुताबित 2021-2025 को बीच ई-फार्मेसी बिजनेस का विकास 42 प्रतिशत बढ़ सकता है। वहीं वर्ष 2025 तक ई-फार्मेसी बाजार बढ़कर 205 रुपये अरब हो सकता है।

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19 March 2023, 02:42 PM IST

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