सरकार टोल प्लाजा को स्वचालित नंबर प्लेट प्रणाली से बदलने की पायलट परियोजना पर कर रही काम

सरकार टोल प्लाजा की जगह स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली के उपयोग के लिए प्रायोगिक परियोजनाओं पर काम कर रही है।

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सरकार टोल प्लाजा की जगह स्वचालित 'नंबर प्लेट पहचान प्रणाली' के उपयोग के लिए 'प्रायोगिक परियोजनाओं' पर काम कर रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इस परियोजना के शुरू होने से वाहन मालिकों के बैंक खातों से सीधे शुल्क की कटौती की जा सकेगी। गडकरी ने माइंडमाइन शिखर सम्मेलन में कहा कि फास्टैग की शुरुआत के बाद, सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की टोल आय में सालाना 15,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई।

उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी दिये बिना कहा, 'हम अब ऑटोमोबाइल नंबर प्लेट तकनीक या ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा पेश करने जा रहे हैं। इसके बाद किसी टोल प्लाजा की जरूरत नहीं होगी। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान टोल प्लाजा पर वाहनों का औसत प्रतीक्षा समय आठ मिनट था। फास्टैग की शुरुआत के साथ वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान वाहनों के लिए औसत प्रतीक्षा समय में कमी आयी। यह घटकर 47 सेकंड हो गया।

हालांकि यह कुछ स्थानों पर, विशेष रूप से घनी आबादी वाले शहरों में प्रतीक्षा समय में काफी सुधार देखा गया। इसके बावजूद व्यस्त समय के दौरान टोल प्लाजा पर कुछ देरी होती है। गडकरी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार अब दो विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला उपग्रह आधारित टोल प्रणाली... जहां एक कार में जीपीएस होगा और टोल सीधे यात्री के बैंक खाते से लिया जाएगा और दूसरा विकल्प नंबर प्लेट पहचान के जरिए शुल्क लेना है।

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