Digital Lending: RBI (Reserve Bank of India) ने जारी गाइडलाइन में कहा है कि किसी भी डिजिटल लेंडिंग ऐप के लोन में APR (Annual Percentage Rate) में हर तरह के लोन चार्ज शामिल होने चाहिए। इसके अलावा कंपनी किसी और नाम पर ब्याज नहीं जोड़ सकती है।
RBI on Digital Lending Apps: कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन के बाद से ही देश में डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (Digital Lending Apps) की बाढ़ आ गई। कई फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियों ने लोगों को केवल 10 से 15 मिनट के अंदर लोन देना शुरू कर दिया और इसके बाद मनमाने तरीके से इस पर ब्याज वसूली शुरू कर दी। अब इस तरह के डिजिटल लेंडिंग प्लेटफार्म के खिलाफ मिल रही शिकायतों पर RBI ने सख्ती करनी शुरू कर दी है। इन ऐप्स के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कुछ गाइडलाइंस बनाए हैं।
इन गाइडलाइंस के मुताबिक अब यह डिजिटल लेंडिंग ऐप्स लोगों के बैंक अकाउंट में पैसे जमा करेंगे। और पैसे जमा करने के लिए किसी थर्ड पार्टी के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही अगर लोन देने में किसी तरह की गलती होती है तो लोन देने वाली NBFC (Non-Banking Financial Company) की होगी। RBI इस मामले में NBFC की जिम्मेदारी तय करेगा ना की लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर (उधार सेवा प्रदाता) कंपनी की।
कूलिंग ऑफ पीरियड देना RBI ने किया जरूरी -
इसके साथ ही आरबीआई ने अपने गाइडलाइन में कहा है कि किसी भी डिजिटल लेंडिंग ऐप के लोन में एनुअल परसेंटेज रेट (सालाना दर फीसदी) में हर तरह के लोन चार्ज शामिल होने चाहिए। इसके अलावा कंपनी किसी और नाम पर ब्याज नहीं जोड़ सकती है। APR में क्रेडिट कॉस्ट (क्रेडिट लागत), ऑपरेटिंग कॉस्ट (Operating Apps), वेरिफिकेशन चार्जेस (सत्यापन शुल्क), मेंटेनेंस चार्जेस (रखरखाव शुल्क), कॉस्ट ऑफ फंड (फंड की लागत) आदि सभी तरह के चार्ज शामिल होने चाहिए। अगर कस्टमर लोन को चालू नहीं रखना चाहता है तो NBFC को उसे कूलिंग ऑफ पीरियड (आराम का समय) का समय भी देना होगा जिसे वह लोन से बाहर आ सकें। इसके साथ ही पैसा आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड बैंक (विनियमित बैंक) खाते से ग्राहकों के बैंक खाते में ही आएगा।
केवल बची लोन राशि पर लगेगा ब्याज -
पिछले कुछ समय में कई ऐसी शिकायतें मिली है जिसमें कस्टमर्स से इन डिजिटल लेंडिंग ऐप्स ने कुल लोन राशि पर ब्याज लिया है। ऐसे में आरबीआई (RBI) ने इस तरह की कंपनियों को आदेश दिया है कि वह कुल आउट स्टैंडिंग अमाउंट (बकाया राशि) पर ही ब्याज वसूल सकते हैं न कि कुल क्रेडिट अमाउंट पर। वहीं कस्टमर्स के डेटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी लोन देने वाली कंपनी की होगी।
RBI ने यह भी गाइडलाइन बनाई है कि लोन देने वाली NBFC को कस्टमर की जानकारी क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी को देना जरूरी है। किसी भी कस्टमर की डाटा को बिना उसकी अनुमति के शेयर नहीं किया जा सकता है। ग्राहकों की शिकायत के निपटारे के लिए डिजिटल लेंडिंग ऐप्स को एक ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफिसर को भी नियुक्त करना होगा। First Updated : Saturday, 03 September 2022