वैश्विक मंदी के दौर से गुजर रही दुनिया पर कोरोनाकाल के दौरान संकट के बादल और भी गहरा गये हैं, जिसका असर अब साफ नजर आने लगा है। जी हां, बता दें कि Twitter और Meta के बाद अब Amazon 18 हजार से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करने जा रहा है।
गौरतलब है कि मीडिया में ऐसी खबरें बीते काफी दिनों से आ रही थी कि दुनिया की नामी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन, अपने यहां भारी छटनी करने के मूड में आ चुकी है। इस बाबत जहां पहले ये अनुमान लगाया जा रहा था कि अमेजन लगभग करीब 10 हजार लोंगो को काम से निकाल सकता है। वहीं अब ताजा अपडेट ये है कि ये कंपनी 10 हजार, नहीं बल्कि लगभग 18 हजार कर्मचारियों की नौकरी छीनने की तैयारी कर चुका है। मालूम हो कि,Amazon के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एंडी जेसी ने बीते बुधवार को एक कार्यक्रम में इस छंटनी की औपचारिक घोषणा करते हुए इसे कंपनी की वार्षिक योजना प्रक्रिया का हिस्सा बताया था।
किसी ई-कॉर्मस कंपनी की सबसे बड़ी छटनी होगी
इस मामले में वॉल स्ट्रीट जर्नल की हालिया रिपोर्ट की माने तो कंपनी ने इस छंटनी के मद्देनजर पूरी तैयारी कर रखी है, जिसके लिए सभी विभागों के मैनेजर्स से उनके अधीन काम करने वाले कर्मचारियों की फीडबैक ली जा रही है। बताया जा रहा है कि अमेजन में होने जा रही इस बड़ी छटनी में कपंनी के सभी स्तर के कर्मचारीयों की रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर, टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट और कॉरपोरेट रैंक्स के लोग भी शामिल हैं। बता दें कि अगर मीडिया में आ रही ये खबरें सच होती हैं, तो ये अभी तक किसी ई-कॉर्मस कंपनी की सबसे बड़ी छटनी साबित होगी।
आखिर Amazon को क्यों करनी पड़ रही है ये छटनी?
अब बात की जाए कि आखिर अमेजन को इतने बड़े स्तर पर छटनी करने की जरूरत पड़ी क्यों? तो इसके जवाब में ये बात सामने आ रही है कि बीते दो-तीन सालों में कोरानकाल के दौरान अमेजन ने काफी बड़ी संख्या में अपने यहां लोगों की भर्तियां की थी। पर बाद में जब उसे महसूस हुआ कि उसे इतने मैन पॉवर की जरूरत ही नहीं है तो फिर कंपनी ने बड़े स्तर पर छंटनी करने की तैयारी कर ली।
ऐसे में ट्विटर, मेटा और अब अमेजन में होने वाली बड़ी छंटनी को देखते हुए आर्थिक मंदी की आशंका गहराने लगी है। असल में, बीते बुधवार को सेल्सफोर्स इंक ने भी अपने यहां तकरीबन 10% की छंटनी और अपनी रियल एस्टेट होल्डिंग्स को कम करने की बात सार्वजनिक की है। जाहिर तौर इन सभी दुनिया की नामी और बड़ी कंपनियों के इस कदम ने आम इंसान से लेकर अर्थशास्त्रियों को सोचने को मजबूर कर दिया है कि क्या ये बड़ी वैश्विक मंदी का संकेत है? First Updated : Thursday, 05 January 2023