भारतीय शेयर बाजार के 'ब्लैक डे': हर्षद मेहता से लेकर कोविड-19 तक की 5 बड़ी गिरावटें
आज भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट आई, जिससे सेंसेक्स करीब 4000 अंक और निफ्टी 5% गिर गए. ये गिरावट भारतीय शेयर बाजार के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावटों में से एक मानी जा रही है और इसने कई घटनाओं की यादें ताजा कर दी हैं. जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली थी.

आज का दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक और 'ब्लैक डे' के तौर पर दर्ज हो गया है. डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ की वजह से दुनियाभर के बाजारों में हलचल मची हुई है और इसका असर घरेलू शेयर बाजार पर भी दिख रहा है. सेंसेक्स करीब 4000 अंक गिर चुका है, जबकि निफ्टी में भी 5 प्रतिशत की गिरावट आई है. ये गिरावट भारतीय स्टॉक मार्केट के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावटों में से एक मानी जा रही है. इसने निवेशकों को 1992 के हर्षद मेहता घोटाले और 2008 की वैश्विक मंदी जैसी आर्थिक चोट को ताजा कर दिया हैं. ऐसे में आइए जानते हैं भारतीय शेयर बाजार के इतिहास के सबसे बड़े क्रैश के बारे में.
हर्षद मेहता स्कैम (1992)
भारतीय शेयर बाजार को पहला बड़ा झटका तब लगा जब हर्षद मेहता के 4000 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ. साल 1992 में इस घोटाले के सामने आने के बाद भारतीय बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली. 28 अप्रैल 1992 को सेंसेक्स 570 अंक (12.7 प्रतिशत) गिरकर अपने सबसे बड़े एकल दिन के गिरावट के आंकड़े तक पहुंच गया. ये गिरावट भारतीय निवेशकों के लिए एक काले दिन के रूप में याद किया जाता है.
केतन पारेख स्कैम (2001)
एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार ने बड़ा झटका तब खाया जब स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख का बड़ा घोटाला सामने आया. उनके द्वारा किए गए कई वित्तीय घोटाले और धोखाधड़ी की वजह से बाजार में खलबली मच गई. इस दौरान गुजरात में आए भूकंप ने भी निवेशकों की स्थिति को और बिगाड़ दिया. सेंसेक्स में 176 अंक की गिरावट (3.7 प्रतिशत) आई और बाजार की स्थिति चिंताजनक हो गई.
चुनावी झटका: कांग्रेस की वापसी (2004)
साल 2004 में भारतीय शेयर बाजार को एक और बड़ा झटका उस समय लगा, जब एनडीए की सरकार के लौटने की उम्मीद थी, लेकिन चुनाव परिणामों में UPA की सरकार की बहुमत से वापसी हो गई. कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार के आने से बाजार के अनुमान और उम्मीदों पर पानी फिर गया. 17 मई 2004 को सेंसेक्स 842 अंक (11.1 प्रतिशत) गिरकर एक बड़ा चुनावी झटका महसूस हुआ.
वैश्विक मंदी (2008)
21 जनवरी 2008 को पूरी दुनिया ने वैश्विक वित्तीय संकट का सामना किया, जब लेहमन ब्रदर्स जैसे प्रमुख संस्थान बिखर गए. भारतीय बाजार पर भी इसका गहरा असर पड़ा. सेंसेक्स ने 1408 अंक (7.4 प्रतिशत) की गिरावट देखी. अगले कुछ महीनों में सेंसेक्स अपने उच्चतम स्तर से करीब 60 प्रतिशत गिरकर एक ऐतिहासिक मंदी का सामना कर रहा था.
कोविड-19 महामारी (2020)
जब चीन में कोविड-19 महामारी की शुरुआत हुई, तो जल्द ही ये पूरी दुनिया में फैल गई. इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा. 23 मार्च 2020 को सेंसेक्स 3935 अंक (13.2 प्रतिशत) गिरकर अपनी सबसे बड़ी गिरावट के शिखर पर पहुंच गया. ये गिरावट महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण थी, जिसने देशभर के कारोबार को प्रभावित किया. प्रतिशत के हिसाब से ये गिरावट अब तक की सबसे बड़ी गिरावट मानी जाती है.