'मेरी बीवी तो सुंदर है...' L&T चेयरमैन के 90 घंटे काम वाले विवाद पर आनंद महिंद्रा का मजेदार जवाब

Anand Mahindra: लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन द्वारा एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह देने के बाद, महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने काम के घंटों की बजाय काम की गुणवत्ता पर जोर दिया. दिल्ली में 'विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025' कार्यक्रम में महिंद्रा ने युवाओं से काम के आउटपुट और गुणवत्ता पर ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा कि काम के घंटे बढ़ाने से ज्यादा जरूरी है कि हम काम की गुणवत्ता में सुधार करें.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Anand Mahindra: हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन द्वारा एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह देने के बाद, देश के कॉर्पोरेट जगत में काम के घंटे और वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बहस छिड़ गई है. इस मुद्दे पर महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपने विचार रखे और कहा कि वे काम के घंटों की बजाय काम की गुणवत्ता पर विश्वास करते हैं. महिंद्रा ने इस विषय पर एक नई दृष्टि पेश की, जो काफी दिलचस्प और ध्यान आकर्षित करने वाली थी.

महिंद्रा का कहना है कि काम के घंटे बढ़ाने से ज्यादा जरूरी है कि हम काम की गुणवत्ता को बढ़ाएं. उन्होंने यह टिप्पणी दिल्ली में 'विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025' कार्यक्रम के दौरान की. इस कार्यक्रम में उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सिर्फ काम के घंटों पर ध्यान केंद्रित न करें, बल्कि काम के आउटपुट और उसकी गुणवत्ता पर ध्यान दें. राष्ट्रीय युवा महोत्सव में बोलते हुए महिंद्रा ने कहा कि वह सोशल मीडिया पर इसलिए नहीं हैं कि वह अकेले हैं, बल्कि उन्होंने कहा, "मेरी पत्नी अद्भुत है. मुझे उसे निहारना अच्छा लगता है."

काम के घंटे बढ़ाने की सलाह पर महिंद्रा की प्रतिक्रिया

लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने हाल ही में कर्मचारियों से एक सप्ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी. उनका मानना था कि अगर संभव हो तो रविवार को भी ऑफिस में काम करवाया जाए. सुब्रह्मण्यन ने इस पर यह भी कहा कि घर पर छुट्टी लेने से कोई फायदा नहीं होता. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं?" उनका कहना था कि यह समय ऑफिस में काम करने का होना चाहिए.

इस पर महिंद्रा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैं नारायण मूर्ति (इंफोसिस के संस्थापक) और अन्य उद्योगपतियों का सम्मान करता हूँ, लेकिन मेरी राय अलग है. मेरा मानना है कि यह बहस गलत दिशा में जा रही है. हमें काम के घंटों पर नहीं, बल्कि काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए."

काम की गुणवत्ता पर जोर

महिंद्रा ने इस पर जोर दिया कि काम के घंटे की बजाय यह महत्वपूर्ण है कि काम का आउटपुट कैसा है. उन्होंने कहा, "यह काम के आउटपुट पर निर्भर करता है. अगर आप 10 घंटे भी काम कर रहे हैं, तो क्या आप कुछ उत्पादकता प्रदान कर रहे हैं? आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं."

उनका मानना है कि काम का वास्तविक मूल्य उसकी गुणवत्ता में छिपा है, न कि उसमें लगाए गए समय में. इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए महिंद्रा ने कार्य संस्कृति में सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया.

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12 January 2025, 10:28 AM IST

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