UPA सरकार के टाइम में बढ़ा बैड लोन, अरुण जेटली से क्या हुई थी बातचीत? पूर्व गवर्नर ने किया खुलासा
पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट से पहले बैंक खुलकर लोन बांटते थे और कारोबारियों के पीछे चेक बुक लेकर पूछते थे, तुम्हे कितना लोन चाहिए.
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मोदी सरकार की बैंकिंग सुधार नीतियों की तारीफ की है. उन्होंने यूपीए सरकार में हुए करप्शन को देश के बैंकिंग सिस्टम में बैड लोन बढ़ाने का जिम्मेदार ठहराया. पूर्व आरबीआई गवर्नर ने अरुण जेटली की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने एनपीए की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए उन्हें हरी झंडी देते हुए कहा था, आगे बढ़ो. आपको बता दें कि रघुराम राजन ने 2013 में यूपीए 2 के शासनकाल में ही RBI के गवर्नर का पद संभाला था.
टाइम पर पूरे नहीं हुए प्रोजेक्ट, बैंक की रकम फंसी
रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में यूपीए का नाम लिए बिना कहा कि भारत में वैश्विक वित्तीय संकट के अलावा भ्रष्टाचार भी बड़ी समस्या थी. इन्हीं सब वजहों के चलते कई प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने में देरी हुई. इसके साथ ही उन्होंने कहां कि कई प्रोजेक्ट पर्यावरण की मंजूरी के चलते भी लेट हुए. अपने इंटरव्यू में उन्होंने आगे बताया कि इन सब चीजों का असर बैंक के लोन सिस्टम पर पड़ा और प्रोजेक्ट टाइम पर शुरू न होने की वजह से बैंक की रकम फंसी और बैड लोन बढ़ गए.
जेटली ने की NPA कम करने में की मदद
कभी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना कर चुके रघुराम राजन ने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल से बैंकिंग सिस्टम में कई सुधार किए गए. अरुण जेटली के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताते हुए वह बोले कि जब मैंने उन्हें बैड लोन की स्थिति के बारे में बताया और इसे ‘क्लीन अप’ करने की जरूरत पर जोर दिया तो उन्होंने कहा- “ठीक है, आगे बढ़ो.”
बैंक घूमते थे कारोबारियों के पीछे
राजन ने कहा कि 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट से पहले बैंक खुलकर लोन बांटते थे और कारोबारियों के पीछे चेक बुक लेकर पूछते थे, तुम्हे कितना लोन चाहिए. उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए होता था, क्योंकि उस समय प्रोजेक्ट टाइम पर पूरे हो जाते थे और बैंक की रकम वापस आ जाती थी, लेकिन आर्थिक संकट ने स्थिति बदल दी.
मैंने मोरेटोरियम नीति खत्म कर दी- राजन
राजन ने कहा, मुझसे पहले जो गवर्नर थे, उन्होंने बैंकों के बुरे कर्ज के लिए मोरेटोरियम (ऋण स्थगन) की शुरुआत की. इसके कारण बैंकों की रकम तो फंसी, लेकिन वे इस रकम को एनपीए में भी नहीं दिखा पा रहे थे. राजन ने कहा, पद संभालने के बाद मैंने मोरेटोरियम नीति खत्म कर दी.