Bournvita Controversy : NCPCR ने बॉर्नविटा को जारी किया नोटिस, भ्रामक विज्ञापन हटाने का दिया निर्देश
बॉर्नविटा में चीनी की मिलावट और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर विवाद पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बॉर्नविटा बनाने कंपनी मोंडेलेज इंडिया इंटरनेशनल को इस मामले पर अपनी जवाब देने को कहा है।
देश के घर-घर में बॉर्नविटा हर बच्चे की पहली पसंद है। अकसर बच्चों के दूध पसंद नहीं होता लेकिन जैसे ही इसमें बॉर्नविटा मिला दिया जाता है, तो वहीं दूध बच्चों का फेवरेट बन जाता है। भारत में बॉर्नविटा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला चॉकलेट फ्लेवर्ड पाउडर है। जोकि हर बच्चे की पहली पसंद है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बॉर्नविटा में चीनी की मिलावट और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर ने यह दावा किया है कि बॉर्नविटा के आधे पैकेटट में चीनी की मात्रा होती है। जिससे बच्चों की सेहत पर हानिकारक प्रभाव पड़ने का दावा किया गया है। जिसके बाद से इसको लेकर विवाद हो रहा है। इस पूरे विवाद पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बॉर्नविटा बनाने कंपनी मोंडेलेज इंडिया इंटरनेशनल को इस मामले पर अपनी जवाब देने को कहा है।
NCPCR ने जारी किया नोटिस
मोंडेलेज इंडिया इंटरनेशनल कंपनी बॉर्नविटा का बनाती है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) कंपनी को नोटिस जारी किया है। NCPCR ने कहा कि वह सात दिनों के अंदर बॉर्नविटा को लेकर हो रहे विवाद पर रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही विभाग ने कंपनी को भ्रामक विज्ञापन, पैकेजिंग और लेबल हटाने का आदेश जारी किया है।
आयोग ने कहा कि ‘इस प्रोडक्ट के बारे में आयोग को बताया गया है कि इसमें काफी अधिक मात्रा में चीनी है। आयोग ने आगे कहा कि बॉर्नविटा में कुछ ऐसे तत्व हैं जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। आयोग ने कहा कि बॉर्नविटा FSSAI के दिशानिर्देशों और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अनिवार्य डिस्क्लोजर्स दिखाने में नाकाम रही है।
आयोग ने कहा बॉर्नविटा के डिब्बे पर उपयोग की जाने वाली मात्रा बताई जाती है, वह नियमों का पालन नहीं करती। इसको लेकर ही आयोग ने कंपनी से जवाब मांगा है।
क्या है मामला
कुछ दिन पहले एक इंफ्लूएंसर रेवंत हिमतसिंग्का ने बॉर्नविटा को लेकर एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें कहा था कि बॉर्नविटा हेल्थ ड्रिंक नहीं है। दावा किया गया था कि बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा ज्यादा है। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही कोविड काल से पहले बॉर्नविटा में इम्यून सिस्टम को अच्छा करने से जुड़ी जानकारी नहीं दी गई थी।
लेकिन कोविड के बाद बॉर्नविटा पैकेट के ऊपर इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने का दावा किया जाने लगा। जबकि इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया था।
रेवंत हिमतसिंग्का ने कहा कि 'बॉर्नविटा की टैग लाइन "तैयारी जीत की" है, लेकिन इसे "तैयारी डायबिटीज की" होना चाहिए।' साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 'बॉर्नविटा में कैरेमल कलर का इस्तेमाल हुआ है। यह कैंसर पैदा करता है और इम्यूनिटी को घटाता है।'
बॉर्नविटा कंपनी का इतिहास
दुनिया में पहली बार बॉर्नविटा साल 1920 में लॉन्च हुआ था। भारत में यह वर्ष 1948 में आया था। तभी से बॉर्नविटा बच्चों की सबसे फेवरेट ड्रिंक बनी हुई है। देश में शहर से लेकर गांव-गांव तक इसने अपनी पहचान बना ली है। कंपनी ने इस पूरे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। बॉर्नविटा के प्रवक्ता ने कहा है कि 70 वर्षों में वैज्ञानिक तरीके से बने बॉर्नविटा से कंपनी ने भारतीय ग्राहकों का विश्वास अर्जित किया है।
इसका निर्माण सभी उत्पाद कानूनों का पालन करके बनाया गया है। बॉर्नविटा में कंपनी के सभी दावों की पुष्टि की गई है, और वे पारदर्शी हैं। कंपनी ने बताया कि इस उत्पाद में 20 ग्राम बॉर्नविटा और 7.5 ग्राम चीनी है। जोकि करीब डेढ़ चम्मच होती है। कंपनी ने कहा कि यह चीनी की मात्रा बच्चों के रोजाना सेवन की मात्रा में बहुत कम है।