Sovereign Gold Bond: भारत सरकार ने हाल ही में सोवरन गोल्ड बॉड्स (SGBs) को लेकर बड़ा निर्णय लेने की योजना बनाई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 से सोवरन गोल्ड बॉड्स (SGBs) को जारी नहीं करने का विचार कर रही है. आइए, जानते हैं इस फैसले के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और इसका भारतीय निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा.
सोवरन गोल्ड बॉड्स (SGBs) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए बॉड्स होते हैं, जो सोने में निवेश करने का एक तरीका प्रदान करते हैं. SGBs की अवधि 8 साल होती है, और इसका लॉक-इन पीरियड 5 साल का होता है. इसका मतलब यह है कि जब आप SGBs में निवेश करते हैं, तो आपके पास 5 साल के बाद इसे बेचने या भुनाने का विकल्प होता है. SGBs पर ब्याज भी मिलता है, जो हर छमाही पेमेंट की जाती है.
भारत सरकार ने सोवरन गोल्ड बॉड्स की योजना शुरू की थी, ताकि देश में सोने के आयात को कम किया जा सके. सरकार का मानना था कि जब लोग सोने में निवेश करेंगे, तो वे भौतिक सोने की बजाय SGBs में निवेश करेंगे, जिससे सोने का आयात कम होगा और विदेशी मुद्रा का खर्च भी घटेगा.
इसके अलावा, SGBs सरकार के लिए एक फंड जुटाने का भी तरीका था. सरकार को SGBs जारी करने से कुछ निश्चित आय होती है और सोने के मूल्य पर निर्भर होकर यह बॉड्स निवेशकों को अच्छा लाभ भी दे सकते हैं.
समाचारों के अनुसार, सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 से SGBs जारी नहीं करने पर विचार करना शुरू कर दिया है. इसके पीछे एक प्रमुख कारण है कि अब सरकार के पास पहले से उपलब्ध उद्देश्य पूरा हो चुका है. सोने के आयात को कम करना: सरकार का प्राथमिक उद्देश्य सोने के आयात को कम करना था, और वह अब सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है.
सरकारी कर्ज में कमी: सरकार अगले कुछ सालों में कर्ज-के-जीडीपी अनुपात को कम करने की योजना पर काम कर रही है. इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए, SGBs को जारी करने से सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ता है. सरकार को इन बॉंड्स के निवेशकों को मैच्योरिटी पर सोने के बराबर कीमत का भुगतान करना होता है, जिससे कर्ज का बोझ बढ़ता है. इसके अलावा, हर साल ब्याज का भुगतान भी सरकार पर वित्तीय बोझ डालता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल जुलाई में अपने बजट भाषण में बताया था कि सरकार 2025-26 तक अपने कर्ज को जीडीपी के मुकाबले घटाकर 4.5% पर लाने का लक्ष्य रखती है. इसके बाद, 2026-27 से हर साल केंद्रीय सरकार का कर्ज जीडीपी के अनुपात में कम करने की दिशा में काम किया जाएगा.
यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि सरकार ने FY25 में SGBs जारी नहीं किए हैं. इसके लिए केवल 500 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जो पिछले साल के बजट से काफी कम है. भारतीय रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 21 फरवरी को 18,008 करोड़ रुपये के SGBs जारी किए थे.
अगर सरकार सचमुच SGBs को बंद करने का निर्णय लेती है, तो इसका असर उन निवेशकों पर पड़ेगा जो सोने में निवेश करने के लिए SGBs का विकल्प चुनते थे. फिलहाल, सोने में निवेश करने का यह एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका माना जाता है, लेकिन अगर सरकार इस योजना को बंद करती है, तो निवेशकों को सोने में निवेश करने के अन्य तरीके तलाशने पड़ेंगे. First Updated : Monday, 09 December 2024