Budget 2024 : जानिए आम बजट से अंतरिम बजट कैसे है अलग, कितने साल में किया जाता है पेश
Interim Budget And General Budget : आम बजट में में पूरे साल का लेखा-जोखा होता है. इसका उद्देश्य राजकोषीय घाटे को कम करना, आम नागरिकों को राहत प्रदान करना और महंगाई को काबू में करना होता है.
Budget 2024 : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2024 को छठी बार देश का बजट पेश करेंगी. इस बजट में आम नागरिकों के लिए बड़ी घोषणाएं की जाने की उम्मीद है. वित्त मंत्री इस बजट में पूरे साल की कमाई और खर्च का लेखा-जोखा संसद में पेश करने वाली हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं? देश में आम बजट और अंतरिम बजट पेश किए जाते हैं. आज हम आपको इन दोनों प्रकार के बजट के बीच के अंतर को बताएंगे.
क्या होता है आम बजट
आम बजट को अनुच्छेद 112 के तहत संसद में पेश किया जाता है. इस बजट में पूरे साल का लेखा-जोखा होता है. संविधान के अनुसार हर वित्त वर्ष की शुरुआत से पहले संसद में केंद्रीय बजट को पेश किया जाना जरूरी है. इसका उद्देश्य राजकोषीय घाटे को कम करना, आम नागरिकों को राहत प्रदान करना और महंगाई को काबू में करना होता है. हर साल 1 फरवरी को यह बजट पेश किया जाता है. इसे पूरे साल के लिए बनाया जाता है इसलिए इसे आम बजट कहा जाता है.
किसे कहते हैं अंतरिम बजट
अंतरिम बजट को अनुच्छेद 116 के तहत पेश किया जाता है. ये पूर्ण बजट नहीं होता है और इसे किसी सरकार में कार्यकाल के आखिरी साल के समय पेश किया जाता है. जो कि कुछ महीनों के लिए ही होता है. इस बजट में सरकार नीतिगत फैसले नहीं लेती है. साथ ही किसी भी तरह का कोई नया टैक्स भी नहीं लगाती है.
अनुच्छेद 116 के तहत केंद्र सरकार के लिए अहम है कि नई सरकार के आने तक वो सरकारी खर्चों को चलाने की पूरी व्यवस्था करे इसलिए अंतरिम बजट को पेश किया जाता है. यह आम बजट से बिल्कुल अलग है और इसकी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है. संविधान में इसके बारे में कुछ नहीं लिखा है.
क्या होता है वोट ऑन अकाउंट
वोट ऑन अकाउंट में सरकारी खर्चों की जानकारी दी गई होती है. इसमें सरकार की आमदनी के बारे में नहीं बताया गया होता है. अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट दोनों ही कुछ महीनों के लिए होते हैं. ये दोनों की एक दूसरे से अलग होते हैं. बस दोनों में एक समानता है कि इनमें बड़ी नीतिगत घोषणाएं नहीं होती हैं.
आपको बता दें कि जब सरकार को कुछ महीनों के लिए संसद से जरूरी खर्च की मंजूरी लेनी होती है तो वोट ऑन अकाउंट को पेश किया जाता है. इसमें सिर्फ खर्च के लिए संसद से इजाजत मांगी जाती है. चुनावी साल में हमेशा 2 बार बजट पेश किया जाता है. एक बार फरवरी में अंतरिम बजट और चुनाव के बाद सरकार आती है तो पूर्ण बजट पेश करती है.