50 रुपये महीना सैलरी से शुरू किया सफर, आज खड़ा किया 25,000 करोड़ का साम्राज्य! जानिए मोहन सिंह ओबेरॉय की सफलता की कहानी
एक जूता फैक्ट्री में काम करने वाले शख्स ने होटल इंडस्ट्री में ऐसा नाम कमाया कि आज उनकी बनाई ओबेरॉय ग्रुप पूरी दुनिया में लग्जरी का दूसरा नाम बन चुकी है. पाकिस्तान से भारत आए इस शख्स ने किस तरह संघर्ष कर एक छोटा होटल खरीदा और फिर एक-एक कर पूरी इंडस्ट्री पर राज करने लगे? पढ़िए उनकी मेहनत और लगन की पूरी कहानी जो हर किसी के लिए प्रेरणा बन सकती है!

Inspiring Journey of Mohan Singh Oberoi: आज जिस ओबेरॉय ग्रुप को दुनिया लक्जरी होटल्स की पहचान मानती है उसकी नींव रखने वाले मोहन सिंह ओबेरॉय का सफर आसान नहीं था. पाकिस्तान के झेलम में जन्मे मोहन सिंह ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने चाचा की जूता फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया. लेकिन विभाजन के समय हालात इतने खराब हो गए कि उन्हें अपनी पुश्तैनी जगह छोड़कर भारत आना पड़ा.
50 रुपये की नौकरी से शुरू हुआ सफर
भारत आने के बाद शिमला में उन्होंने सेसिल होटल में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी की. उस समय उनकी सैलरी सिर्फ 50 रुपये महीना थी. लेकिन उन्होंने इस छोटे से मौके को भी अपनी मेहनत और लगन से एक बड़े अवसर में बदल दिया. होटल मैनेजर उनकी ईमानदारी और काम के प्रति समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें होटल के खातों का जिम्मा दे दिया गया. यहीं से उन्होंने होटल व्यवसाय की बारीकियां सीखनी शुरू कीं.
पहला होटल खरीदकर खड़ा किया साम्राज्य
कुछ सालों बाद, जब उनके ब्रिटिश मैनेजर ने एक छोटा होटल खरीदा तो ओबेरॉय को उसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई. यही उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बना. 1934 में उन्होंने अपनी बचत और अपनी पत्नी के गहने बेचकर शिमला में क्लार्क होटल खरीद लिया. यह उनकी पहली बड़ी सफलता थी.
इसके बाद उन्होंने कोलकाता में एक बड़ा होटल खरीदा और धीरे-धीरे होटल इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी. 1943 तक उन्होंने ‘एसोसिएटेड होटल्स ऑफ इंडिया’ (AHI) के अधिकतर शेयर खरीद लिए जो शिमला, दिल्ली, लाहौर, मरी, रावलपिंडी और पेशावर में कई प्रमुख होटल्स का संचालन करता था. इस तरह वे भारत के सबसे बड़े होटल व्यवसायियों में से एक बन गए.
दुनिया भर में फैलाया अपना कारोबार
1965 में उन्होंने दिल्ली में ‘ओबेरॉय इंटरकॉन्टिनेंटल’ होटल खोला और 1973 में मुंबई में 35-मंजिला ओबेरॉय शेरेटन की शुरुआत की. उनकी यह सफलता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही. उन्होंने चीन, यूएई, यूके, दक्षिण अफ्रीका सहित 32 देशों में ओबेरॉय होटल्स एंड रिसॉर्ट्स का विस्तार किया.
भारत सरकार ने भी किया सम्मानित
होटल इंडस्ट्री में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया. 2002 में 103 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा लेकिन उनका बनाया हुआ होटल साम्राज्य आज भी उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी बयां करता है. मोहन सिंह ओबेरॉय की कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत और लगन से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को सच कर सकता है चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों.