सरकार ने जीएसटी के नियमों एक नया बदलाव किया है। इस नए नियम में 1 अगस्त से पांच करोड़ रुपये से ज्यादा की बिजनेस करने वाले व्यापारियों को b2b (बिज़नेस टू बिजनेस) लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक या ई चालान जनरेट करना अनिवार्य होगा। वर्तमान समय में जीएसटी के तहत 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक के टर्नओवर वाले व्यवसायों को सभी प्रकार के बी 2 बी लेनदेन के लिए ई-इनवॉइस जनरेट करना जरूरी होगा।
10 मई को वित्त मंत्री ने ई-चालान के लिए लेन-देन की सीमा में होने वाली कमी कोअधिसूचित कर दिया है, जो 1 अगस्त 2023 से प्रभावी होगा। वित्त मंत्रालय ने आगे कहा कि- 5 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाले किसी भी व्यापारी को बी 2 बी लेन-देन के लिए ई-चालान जारी करना जरूरी होगा।
इस बड़े बदलाव की घोषणा करते हुए डेलॉइट इंडिया पार्टनर के लीडर इनडायरेक्ट टैक्स महेश जयसिंह ने कहा कि- ई-चालान के तहत एमएसएमई का दायरा बढ़ाया जाएगा, इसके साथ ही उन्हें चालान लागू करने की भी आवश्यकता होगी, उन्होंने ने आगे कहा कि कंपनियों के लिए ई-चालान वरदान है, क्योंकि जो आपूर्तिकर्ता ई-चालान जनरेट करते हैं, उसी के तहत उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट में योगदान करते हैं।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि- ई चालान के चरणबद्ध कार्यान्वयन के रिजल्ट स्वरूप व्यवधान कम हुए हैं साथ ही अनुपालन में सुधार और राजस्व में विकास हुआ है। आपको बता दें कि ई-चालान शुरूआत में 500 करोड़ से ज्यादा की बिजनेस करने वाली बड़ी कंपनियों के लिए लागू किया गया था, लेकिन 3 साल के अंदर इस सीमा को घटाकर अब 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
जीएसटी के ई-चालान व्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र को जोड़ने से लागत कम करने, गलतियों को तर्क संगत बनाने और तेजी के साथ चालान प्रक्रिया को सुनिश्चित करने, लंबे समय में वाणिज्यिक विवादों को कम करने में मदद मिलेगी। इससे कारोबारी इको सिस्टम को भी बहुत फायदा होगा।
1 अप्रैल, 2021 से 50 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर करने वाली कंपनियों के लिए B2B ई-चालान जनरेट करना जरूरी किया गया। 1 अप्रैल, 2022 से इस सीमा को घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया था। 1 अक्टूबर, 2022 से सीमा को और घटाकर 10करोड़ रुपये कर दिया गया था। First Updated : Thursday, 11 May 2023