अगर लोन लेने वाले की मौत हो जाए, तो कौन चुकाएगा कर्ज? जानिए क्या है बैंक के नियम

अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो EMI कौन भरेगा? ये सवाल तो लगभग सभी के जहन में होता है और बहुत कम लोगों को ही इस बात की जानकारी रहती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इसके बारे में और आपके मन में उठ रहे हर सवाल का आपको जवाब मिल जाएगा.

घर, कार, पढ़ाई या पर्सनल जरूरत... आज के समय में हर जरूरत के लिए आसानी से लोन मिल जाता है. लेकिन सवाल ये है कि अगर लोन लेने वाला शख्स दुनिया को अलविदा कह दें तो फिर EMI कौन भरेगा?

भारत में लोन लेने का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है. लोग घर खरीदने के लिए होम लोन, गाड़ी के लिए ऑटो लोन, पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन और शादी या मेडिकल जरूरतों के लिए पर्सनल लोन लेते हैं. बैंकों और NBFCs की ओर से दिए गए इन लोन को तय समय पर EMI के जरिए चुकाना होता है. लेकिन अगर लोन लेने वाले की अचानक मौत हो जाए तो बैंक कैसे वसूली करता है? किसे चुकानी पड़ती है EMI? आइए समझते हैं विस्तार से- 

बैंक कितने तरह के लोन देते हैं?

बैंक दो श्रेणियों में लोन देते हैं:- 

1. सिक्योर्ड लोन: इसमें घर, कार, गोल्ड या बिजनेस लोन शामिल होते हैं. इन लोन में कोई संपत्ति गिरवी रखी जाती है.

2. अनसिक्योर्ड लोन: पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन और क्रेडिट कार्ड लोन जैसी सुविधाएं इसमें आती हैं. इनमें कोई सिक्योरिटी या गिरवी संपत्ति नहीं होती.

पर्सनल लोन लेने वाले की मौत पर क्या होता है?

पर्सनल लोन चूंकि अनसिक्योर्ड होता है, ऐसे में अगर उधार लेने वाले की मौत हो जाती है, तो बैंक उसकी संपत्ति जब्त नहीं कर सकता है. परंतु कुछ स्थितियों में ये नियम बदल जाता है:

  • अगर मृतक की संपत्ति को उत्तराधिकारी अपने पास रखना चाहते हैं, तो उन्हें लोन चुकाना होता है.
  • अगर लोन में कोई को-एप्लीकेंट है, तो उस पर लोन की ज़िम्मेदारी आती है.
  • अगर ज्वॉइंट अकाउंट है, तो उससे रिकवरी की जाती है.
  • गारंटर भी जिम्मेदार बन सकता है, अगर को-एप्लीकेंट नाकाम हो जाए.

सिक्योर्ड लोन पर मौत की स्थिति में क्या होता है?

होम लोन या ऑटो लोन की स्थिति में अगर उधारकर्ता की मौत हो जाए:

  • बैंक उस संपत्ति या गाड़ी को सीज कर देता है.
  • बाद में नीलामी के जरिए लोन की राशि वसूली जाती है.

एजुकेशन या बिजनेस लोन में क्या है नियम?

  • सबसे पहले को-एप्लीकेंट और गारंटर से संपर्क किया जाता है.
  • अगर वो भी लोन नहीं चुका पाते तो मृतक की संपत्ति की नीलामी कर रिकवरी होती है.
  • अगर लोन इंश्योरेंस है, तो बीमा कंपनी लोन चुकाने की जिम्मेदारी लेती है.

लोन लेते समय क्यों जरूरी है टर्म इंश्योरेंस?

अगर आपने लोन लेते वक्त टर्म इंश्योरेंस ले रखा है तो:

  • आपकी मृत्यु के बाद परिवार को लोन की चिंता नहीं रहती.
  • बीमा कंपनी से मिलने वाली राशि से पूरा लोन चुकता हो जाता है.
  • प्रॉपर्टी या गाड़ी सुरक्षित रहती है.
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04 April 2025, 07:57 PM IST

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