आज इंटरनेट के आने से घर बैठे फोन से दूसरे देश में बैठे अपने दोस्तों, परिजनों को संदेश भेज देते हैं। एक सेकेंड में हम अपनी बात दूसरे देश में बैठे संबंधियों तक पहुंचा पाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं 18वीं और 19वीं सदी में किसी तक अपना कोई संदेश पहुंचाना होता था तो चिट्ठी लिखकर डाक सेवा के माध्यम से पहुंचाना पड़ता है। तब के समय में चिट्ठी लिखना और उसके जवाब का प्रतीक्षा करना दोनों की बात ही अलग थी।
भारतीय सिनेमा में चिट्ठी को लेकर अनेक गाने बने हैं। इन गानों में मैंने प्यार किया फिल्म का गाना ‘संदेशे आते हैं, मैंने खत्त महबूब के नाम लिखा, चिट्ठी आई है आई है जैसे तमाम गाने हैं जो भारत में डाक सेवा के महत्व के दर्शाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं देश में पहला डाक टिकट कब जारी हुआ था? आइए हम इसके बारे में आपको बताते हैं।
देश का पहला डाक टिकट आधिकारिक तौर पर 4 मई 1854 को जारी हुआ था। आपको बता दें कि वर्ष 1947 से पहले भारत पर अंग्रजों का शासन था। इसके बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। आजादी के बाद भारत 21 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत की सरकार ने पहला डाक टिकट जारी किया। जिसका नाम जय हिंद था। इस मूल्य साढ़े तीन आने तय की गई थी।
डाक टिकट के बिना किसी भी चिट्ठी को तब कर पोस्ट ऑफिस में जमा नहीं किया जाता। यह चिपकने वाले कागज से बना होता है। डाक टिकट चिपकने वाले कागज से बना एक प्रमाण होता है। जिससे यह पता चलता है कि डाक सेवाओं के शुल्क का भुगतान हो चुका है। डाक टिकट एक छोटा आयताकार कागज का टुकड़ा होता है जो एक लिफाफे पर चिपका रहता है।
भारत में डाक सेवा की शुरुआत सन् 1854 में हुई थी। लेकिन सही मायनों में इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1854 को हुई। उस समय तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने इस सेवा का केंद्रीकरण किया था। हालांकि इससे पहले लॉर्ड क्लाइव ने अपने स्तर पर 1766 में भारत में डाक व्यवस्था शुरू की थी। First Updated : Thursday, 04 May 2023