ट्रंप के 'जवाबी टैरिफ' पर भारत का प्लान A, B, C तैयार, जानें क्या-क्या?
Trump tariff policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक व्यापार को हिला देने वाला फैसला लेते हुए 2 अप्रैल से 'जवाबी टैरिफ' लागू करने की घोषणा की है. उनके इस कदम से भारत सहित कई देशों पर प्रभाव पड़ सकता है. इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में भारत ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने प्लान A, B और C तैयार किए हैं.

Trump tariff policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर में व्यापारिक हलचल मचाते हुए 2 अप्रैल से 'जवाबी टैरिफ' लागू करने का ऐलान किया है. इसी के साथ उन्होंने यह दावा किया कि भारत अमेरिकी आयात पर लगने वाले टैरिफ को काफी हद तक कम करेगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक व्यापार जगत ट्रंप की नई नीतियों को लेकर सतर्क है.
भारत सरकार ने इस नई व्यापारिक चुनौती से निपटने के लिए सतर्क रुख अपनाया है. ट्रंप द्वारा घोषित किए जाने वाले 'जवाबी टैरिफ' के प्रभाव का गहन विश्लेषण करने के बाद, भारत ने तीन संभावित रणनीतियों (प्लान A, B और C) पर काम शुरू कर दिया है.
प्लान A: व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाए रखना
भारत की पहली प्राथमिकता अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाए रखना है. इसके तहत सरकार ट्रंप प्रशासन के साथ वार्ता कर सकती है और एक नए व्यापार समझौते की दिशा में कदम बढ़ा सकती है. इस समझौते का उद्देश्य भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा करना और टैरिफ बढ़ोतरी से बचाव करना होगा.
प्लान B: निर्यात बढ़ाने की रणनीति
यदि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर ऊंचा टैरिफ लगाता है, तो भारत अन्य बाजारों की ओर रुख कर सकता है. यूरोप, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे नए व्यापार साझेदारों के साथ निर्यात बढ़ाने की रणनीति बनाई जा रही है. इससे अमेरिकी निर्भरता कम होगी और भारतीय उत्पादों को नए बाजार मिलेंगे.
प्लान C: अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ
यदि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ लगाता है, तो भारत भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है. सरकार अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाने पर विचार कर रही है, जिससे घरेलू उद्योगों को फायदा मिल सके और भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिले.
किन पर पड़ेगा असर?
विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति का सीधा असर टेक्सटाइल, फार्मा, आईटी सेवाओं और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ेगा. अमेरिका भारतीय आईटी और फार्मा उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार है, ऐसे में सरकार कंपनियों को अतिरिक्त नीतिगत ढील देने पर विचार कर रही है.
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर ट्रंप प्रशासन आयात शुल्क बढ़ाता है, तो भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में व्यापार करना महंगा हो सकता है. हालांकि, भारत की मजबूत घरेलू मांग और निर्यात बाजार के विस्तार की नीति से इस प्रभाव को कम किया जा सकता है. सरकार पूरी सतर्कता के साथ स्थिति पर नजर बनाए हुए है और किसी भी संभावित चुनौती के लिए तैयार है.