भारत और अमेरिका के व्यापार युद्ध में क्या टैरिफ़ की तकरार एक बड़ा बदलाव लाएगी?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर अहम चर्चा जारी है खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत पर 26% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. हाल ही में, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हुई जहां दोनों देशों के व्यापार समझौते को जल्द पूरा करने की जरूरत पर जोर दिया गया. क्या इस वार्ता से भारत को फायदा हो सकता है?

India's Trade Battle with US: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है. हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 26% टैरिफ लगाने की धमकी के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच महत्वपूर्ण वार्ता हुई. यह बातचीत भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के महत्व को लेकर थी.
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता: एक नई शुरुआत
फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच वाशिंगटन डीसी में हुई मुलाकात के बाद से ही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता शुरू हो गई थी. इस दौरान, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने आपसी व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए बातचीत की. विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्विटर पर बताया कि उन्होंने मार्को रुबियो से इंडो-पैसिफिक, भारतीय उपमहाद्वीप, यूरोप, मध्य पूर्व, और कैरिबियन पर विचारों का आदान-प्रदान किया और द्विपक्षीय व्यापार समझौते को शीघ्रता से अंतिम रूप देने की आवश्यकता पर सहमति जताई.
टैरिफ पर बातचीत: क्या है भारतीय उद्योग के लिए खतरा?
अमेरिका ने हाल ही में यह पुष्टि की थी कि वह भारत पर पारस्परिक शुल्क लगाएगा. 5 अप्रैल से सभी देशों के लिए 10% बेसलाइन शुल्क लागू हो गए हैं, जबकि 9 अप्रैल से भारत के लिए 26% विशेष टैरिफ लागू होने जा रहे हैं. इस पर भारत ने यह कहा कि वह नए टैरिफ के प्रभावों का गहन मूल्यांकन कर रहा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने भी उद्योग के हितधारकों और निर्यातकों के साथ सक्रिय चर्चा शुरू कर दी है ताकि अमेरिकी व्यापार नीति में बदलावों से उत्पन्न संभावित अवसरों का पता लगाया जा सके.
भारत और अमेरिका का व्यापार समझौता: क्या हैं भविष्य की संभावनाएं?
जयशंकर और रुबियो के बीच हुई वार्ता का उद्देश्य पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते को शीघ्र पूरा करना था. इसमें आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने, व्यापार, निवेश, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बढ़ाने के विषयों पर बात की गई. भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में इस समझौते से सुधार की उम्मीद है, जो दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक फायदे का कारण बन सकता है.
भारत की तैयारी: एशियाई देशों के मुकाबले कम टैरिफ
भारत की स्थिति एशिया के अन्य देशों से अलग है, जहां चीन पर 34%, वियतनाम पर 46%, थाईलैंड पर 36%, और इंडोनेशिया पर 32% टैरिफ लगाया गया है. भारत का टैरिफ इन देशों से कम है, जिससे भारत को कुछ राहत मिल सकती है.
अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद भारत को अपने व्यापारिक दृष्टिकोण में बदलाव लाने की जरूरत है. भारत के पास अवसर भी हैं, खासकर अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के. भारत की उम्मीद है कि इस वार्ता से उसे अपनी व्यापारिक स्थिति को बेहतर बनाने का मौका मिलेगा.