2025 में मंदी का खतरा! अप्रैल-जून में 30% बढ़ सकता है गोल्ड लोन का NPA
भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बीच गोल्ड लोन एनपीए में तेज़ वृद्धि ने चिंताएं बढ़ा दी हैं. अप्रैल-जून 2024 तिमाही में स्वर्ण ऋण चूक 30% तक बढ़ गई, जिससे बैंकों और एनबीएफसी के सामने नई समस्याएं खड़ी हो गई हैं. आय स्तर में गिरावट और बढ़ते कर्ज इसके मुख्य कारण हैं.
Gold Loan: आर्थिक मंदी और बढ़ती कर्जदारी के कारण अप्रैल-जून 2024 तिमाही में गोल्ड लोन एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, गोल्ड लोन एनपीए जून 2024 तक 6,696 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो मार्च 2024 में 5,149 करोड़ रुपये था.
बैंकों और एनबीएफसी पर बढ़ता बोझ
आपको बता दें कि आरटीआई के तहत इंडियन एक्सप्रेस को मिले आंकड़ों के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों ने गोल्ड लोन एनपीए में 62% की वृद्धि दर्ज की, जो मार्च 2024 में 1,513 करोड़ रुपये से बढ़कर जून 2024 में 2,445 करोड़ रुपये हो गया. वहीं, एनबीएफसी के एनपीए में 24% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 3,636 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,251 करोड़ रुपये हो गया.
आय स्तर पर मंदी का असर
वहीं आपको बता दें कि गोल्ड लोन एनपीए में वृद्धि का मुख्य कारण आय स्तर का प्रभावित होना है. धीमी अर्थव्यवस्था के कारण उधारकर्ताओं के लिए ऋण चुकाना मुश्किल हो गया है. सोने की बढ़ती कीमतों के चलते लोगों ने अपने रोजमर्रा के खर्च, शिक्षा और स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोना गिरवी रखा, लेकिन उच्च ऋण राशि और चूक के परिणामस्वरूप क्रेडिट स्कोर गिरने का खतरा बना.
बैंकों की स्वर्ण ऋण पुस्तिका में बढ़ोतरी
बता दें कि बैंकों का गोल्ड लोन बकाया मार्च 2024 में 1,02,562 करोड़ रुपये से बढ़कर अक्टूबर 2024 में 1,54,282 करोड़ रुपये हो गया.
आरबीआई के निर्देश और सुधार की आवश्यकता
इसके अलावा आपको बता दें कि आरबीआई ने गोल्ड लोन क्षेत्र में अनियमितताओं की पहचान करते हुए बैंकों को अपनी नीतियों की समीक्षा के निर्देश दिए हैं. साथ ही, उधारकर्ताओं के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम और लचीले पुनर्भुगतान विकल्पों को बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया है.