क्या आप भी शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं? 100 दिन में निवेशकों के डूब गये 60 लाख करोड़
शेयर मार्केट में इस समय उथल-पुथल मची हुई है. लगभग 100 दिन पहले शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर पर थे, लेकिन अब ये स्तर 10 फीसदी से ज्यादा नीचे आ चुके हैं. इन 100 दिनों में निवेशकों को करीब 60 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
मकर संक्रांति पर शेयर बाजार में मामूली तेजी देखने को मिली, लेकिन हाल के दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में बड़ी गिरावट देखने को मिली. विदेशी निवेशकों के शेयर बाजार से पैसा निकालने के कारण बाजार की हालत कमजोर हो गई है. लगभग 100 दिन पहले शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर पर थे, लेकिन अब ये स्तर 10 फीसदी से ज्यादा नीचे आ चुके हैं. इन 100 दिनों में निवेशकों को करीब 60 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
निफ्टी में लगभग 2 फीसदी की गिरावट
अगर जनवरी की बात करें तो इस महीने सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है और निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है. 27 सितंबर 2024 को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर रिकॉर्ड तोड़ा था. उस दिन सेंसेक्स 85,978.25 अंक पर था, जो अब 9,642.5 अंक यानी 11.21 फीसदी गिर चुका है. वहीं, निफ्टी 26,277.35 अंक के साथ रिकॉर्ड पर था और अब वह 3,143.2 अंक यानी 12 फीसदी गिर चुका है.
महामारी के बाद का सबसे लंबा सुधार 19 अक्टूबर 2021 से 17 जून 2022 तक हुआ था, जब आठ महीने तक बाजार में गिरावट देखी गई थी और निवेशकों को 34.81 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. उस दौरान निफ्टी 18,604.45 से गिरकर 15,183.40 अंक तक पहुंच गया था.
सेंसेक्स और निफ्टी में आई गिरावट का असर सीधे निवेशकों पर पड़ा है. 27 सितंबर 2024 को सेंसेक्स के बंद होने पर बीएसई का मार्केट कैप 4,77,93,022.68 करोड़ रुपए था. मंगलवार को जब सेंसेक्स दिन के निचले स्तर पर था, तो बीएसई का मार्केट कैप 4,18,10,903.02 करोड़ रुपए था, यानी 59,82,119.66 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका था. इसका मतलब है कि 100 दिनों में निवेशकों को 60 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
रुपया और कच्चे तेल की बढ़ी कीमतें
इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली है. आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने अक्टूबर से 12 जनवरी तक 1.85 लाख करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं. इसके बावजूद, म्यूचुअल फंड्स और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2.18 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है, लेकिन गिरावट की वजह यह है कि डीआईआई कम कीमतों पर बोली लगा रही है. हालांकि, एफपीआई के बाजार में फिर से निवेश करने की संभावना कम ही दिख रही है. इसका कारण रुपया और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें हैं.