आईपीएल में सट्टे का तूफान: 8.3 लाख करोड़ के लेनदेन से हिली अर्थव्यवस्था, UPI परेशान

हर साल आईपीएल के दौरान भारत में सट्टेबाज़ी का खेल तेज़ी से बढ़ता है. अनुमान है कि इस दौरान 100 अरब डॉलर से ज़्यादा का अवैध सट्टा लगता है. चौंकाने वाली बात यह है कि इसका एक बड़ा हिस्सा विदेशी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए संचालित होता है. क्रिकेट प्रेमी जहां खेल का लुत्फ़ उठाते हैं, वहीं सट्टेबाज़ इस जुनून को मुनाफ़े का ज़रिया बना लेते हैं. यह चलन कानून और सामाजिक मूल्यों के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

आईपीएल सट्टेबाजी:  इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट प्रशंसकों के लिए मनोरंजन और उत्साह का स्रोत है, लेकिन यह भारत की बैंकिंग प्रणाली के लिए तकनीकी चुनौतियों का मौसम भी बन गया है. टूर्नामेंट के दौरान होने वाली वैध और अवैध सट्टेबाजी गतिविधियों ने बैंकों के आईटी बुनियादी ढांचे पर बहुत दबाव डाला है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार आईपीएल में भारत में सालाना 100 बिलियन डॉलर से अधिक की अवैध सट्टेबाजी होती है. इस सट्टेबाजी का ज़्यादातर हिस्सा विदेशी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए होता है, जो क्रिप्टोकरेंसी और 'म्यूल अकाउंट' के ज़रिए भारतीय नागरिकों को सेवाएँ प्रदान करते हैं.

ड्रीम11 और प्रोबो जैसे समान रूप से संचालित फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. ये प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को वास्तविक पैसे के साथ मैच-आधारित दांव लगाने में सक्षम बनाते हैं, जिससे यूपीआई के माध्यम से सुरक्षित और त्वरित लेनदेन की आवश्यकता होती है.

यूपीआई बना दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म

भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) अब दुनिया की सबसे बड़ी रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट प्रणाली बन गई है. यह हर साल तीन ट्रिलियन डॉलर से अधिक के लेन-देन को प्रोसेस करती है. इतनी बड़ी राशि के लेन-देन को आसानी से, तेज और सुरक्षित तरीके से निपटाने की इसकी क्षमता ने इसे वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी प्रणाली बना दिया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी गति और हर वर्ग के लोगों तक इसकी आसान पहुंच है, जिसके कारण यह न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में लोकप्रिय हो रही है. अब भारत की यह तकनीक दूसरे देशों के लिए भी मिसाल बन गई है और कई देश इस मॉडल को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. डिजिटल पेमेंट पर भारत की सफलता को उसकी तकनीकी प्रगति और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.

आईपीएल सीजन में बढ़ा ट्रांजेक्शन का दबाव, सर्वर पर भी बोझ

आईपीएल सीजन के दौरान डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या अचानक बढ़ जाती है, जिससे यूपीआई सर्वर पर दबाव काफी बढ़ जाता है. इसके चलते ट्रांजैक्शन में फेल होने की दर भी बढ़ जाती है, जिससे यूजर्स को परेशानी होती है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) हर महीने बैंकों की 'फेलियर रेट' रिपोर्ट जारी करता है, जिससे ग्राहकों को यह तय करने में मदद मिलती है कि उन्हें किस बैंक में अकाउंट खोलना चाहिए.

उन्नत लेनदेन निगरानी

आरबीआई) ने बैंकों के डिजिटल प्रदर्शन और साइबर सुरक्षा को लेकर भी सख्त रुख अपनाया है. ऐसे में बैंक अब बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एनालिटिक्स कंपनियों की मदद ले रहे हैं. बेंगलुरु स्थित वुनेट सिस्टम्स जैसे स्टार्टअप हर दिन करीब 1 अरब ट्रांजेक्शन पर नजर रखते हैं और रोजाना करीब 50 टेराबाइट डेटा प्रोसेस करते हैं.

calender
15 April 2025, 09:32 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag