UPI की तरह अब भारत के इस सेक्टर में भी आएगा डिजिटल बदलाव, नंदन निलेकणी ने बताया भविष्य का रोडमैप
Nandan Nilekani on Digital Energy: भारत में ऊर्जा क्षेत्र जल्द ही एक बड़े डिजिटल बदलाव की ओर बढ़ रहा है. इन्फोसिस के सह-संस्थापक और आधार निर्माता नंदन निलेकणी के अनुसार, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग से हर घर ऊर्जा उत्पादक और उपभोक्ता दोनों बन जाएगा.

Nandan Nilekani on Digital Energy: भारत में डिजिटल क्रांति का नेतृत्व करने वाले आधार निर्माता और इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन निलेकणी का मानना है कि जिस तरह UPI ने वित्तीय लेनदेन को बदला, उसी तरह अब ऊर्जा क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आने वाला है. उन्होंने कहा कि भारत में घर-घर सोलर पैनल लगने से हर नागरिक ऊर्जा उत्पादक और उपभोक्ता दोनों बन जाएगा. यह बदलाव न केवल ऊर्जा क्षेत्र को विकेंद्रीकृत करेगा, बल्कि नए उद्यमों को भी जन्म देगा.
निलेकणी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत में ऊर्जा उपभोग की मौजूदा व्यवस्था पारंपरिक रही है. जहां लोग एलपीजी सिलेंडर जैसी "पैकेटाइज्ड एनर्जी" खरीदते हैं या ग्रिड से बिजली प्राप्त करते हैं. लेकिन अब यह व्यवस्था बदलने वाली है, जहां घर-घर ऊर्जा उत्पन्न होगी और उसका व्यापार भी संभव होगा.
Energy is the next UPI! Millions of small producers will participate in the Digital Energy Grid (DEG).
— Nandan Nilekani (@NandanNilekani) March 28, 2025
Full video: https://t.co/NboKoiSIXh pic.twitter.com/o2MbSquesQ
हर घर बनेगा ऊर्जा उत्पादक और उपभोक्ता
नंदन निलेकणी ने बताया कि सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के कारण हर घर एक ऊर्जा उत्पादक बनेगा. उन्होंने कहा, "हर घर ऊर्जा उत्पादक होगा क्योंकि वहां सौर पैनल लगे होंगे. हर घर ऊर्जा भंडारण केंद्र बनेगा क्योंकि वहां ईवी बैटरी होगी. इस तरह, हर घर ऊर्जा का उत्पादक, विक्रेता और उपभोक्ता होगा. ठीक उसी तरह जैसे UPI ने वित्तीय लेनदेन को आसान बनाया, वैसे ही अब लोग ऊर्जा खरीद और बिक्री कर सकेंगे."
माइक्रो-एनर्जी उद्यमियों का उभरता बाजार
निलेकणी ने यह भी कहा कि ऊर्जा उत्पादन और खपत का विकेंद्रीकरण भारत में लाखों माइक्रो-एनर्जी उद्यमियों को जन्म देगा, जिससे आर्थिक नवाचार और विकास को बढ़ावा मिलेगा. यह बदलाव न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाएगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा.
भारत में UPI की सफलता
UPI को एक दशक पहले लॉन्च किया गया था. आज यूपीआई भारत के डिजिटल भुगतान तंत्र का आधार है. यह खुदरा भुगतान का लगभग 80% हिस्सा बन चुका है. इसकी सरलता और भागीदार बैंकों व फिनटेक प्लेटफार्मों के बढ़ते नेटवर्क के कारण यह लाखों उपयोगकर्ताओं की पसंदीदा भुगतान प्रणाली बन गई है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में कुल UPI लेनदेन 16.99 बिलियन को पार कर गया और कुल मूल्य ₹23.48 लाख करोड़ से अधिक हो गया, जो अब तक के सबसे अधिक लेनदेन वाला महीना था.
वर्तमान में, UPI 7 से अधिक देशों में लाइव है, जिनमें यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं. इससे भारतीय उपभोक्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भुगतान कर सकते हैं.