मिडिल क्लास को मोदी सरकार ने कर दिया खुश, किया बड़ा ऐलान...जानें कब-कब बदला गया इनकम टैक्स स्लैब
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स को लेक बड़ी घोषणा की है. अब 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. भारत में इनकम टैक्स की दरें समय के साथ बदलती रही हैं. 2023-24 के बजट में सरकार ने टैक्स से छूट की लिमिट 7 लाख रुपये सालाना रखी थी, जबकि उससे पहले 2019 में लिमिट 5 लाख रुपये सालाना, 2014 में ढाई लाख रुपये, 2012 में दो लाख रुपये और 2005 में एक लाख रुपये सालाना थी. कब-कब कितना बदला टैक्स दर...

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स को लेक बड़ी घोषणा की है. अब 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. भारत में इनकम टैक्स की दरें समय के साथ बदलती रही हैं, जो आर्थिक विकास और जनसंख्या की आवश्यकताओं के अनुसार होती हैं. इन दरों में वृद्धि या कमी का सीधा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है, जिससे यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि टैक्स प्रणाली सभी वर्गों के लिए न्यायसंगत हो.
अब 1 लाख रुपये महीना कमाने वालों को भी कोई टैक्स नहीं देना होगा. पहले यह लिमिट करीब 60 हजार रुपये महीना तक थी, जिसमें 40 हजार की वृद्धि कर दी गई है. 2023-24 के बजट में सरकार ने टैक्स से छूट की लिमिट 7 लाख रुपये सालाना रखी थी, जबकि उससे पहले 2019 में लिमिट 5 लाख रुपये सालाना, 2014 में ढाई लाख रुपये, 2012 में दो लाख रुपये और 2005 में एक लाख रुपये सालाना थी.
कब-कब कितना बदला टैक्स दर
1997-98: पहली बड़ी बढ़ोतरी
1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आयकर की दरों में महत्वपूर्ण बदलाव किए. इस वर्ष, 5 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 40% का कर लगाया गया था, जो उस समय का सबसे उच्चतम स्तर था.
2009-10: अधिभार का समावेश
वित्त वर्ष 2009-10 में, सरकार ने व्यक्तिगत आयकर पर अधिभार को समाप्त कर दिया था. हालांकि, इसके बाद 2010-11 में, 10 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 10% का अधिभार लागू किया गया.
2014-15: नई कर व्यवस्था
2014 में, नरेंद्र मोदी सरकार ने नई कर व्यवस्था पेश की. इस वर्ष, आयकर स्लैब में कुछ बदलाव किए गए थे. 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं था, लेकिन 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आय पर 10% और 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20% कर लगाया गया.
2018-19: स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर
2018 में, सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर को बढ़ाकर 4% कर दिया. इसने उच्च आय वर्ग पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला. इसके अलावा, इस वर्ष से नए टैक्स स्लैब भी लागू हुए थे.
2020-21: कोविड-19 के प्रभाव
कोविड-19 महामारी के दौरान, सरकार ने राहत उपायों के तहत कुछ करों को स्थगित किया, लेकिन इसके बावजूद, उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दरें स्थिर रहीं.
2021-22: स्थिरता का प्रयास
इस वर्ष में भी सरकार ने टैक्स दरों को स्थिर रखा. हालांकि, कुछ विशेष प्रावधानों के तहत उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दरें बढ़ाई गईं.
अभी तक क्या था (2024-25)
इस समय न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये तक पर कोई टैक्स नहीं लगता. वहीं, 3 से 7 लाख तक की इनकम पर अभी 5 फीसदी टैक्स लगता है. वहीं, 7 से 10 लाख रुपये तक की इनकम पर 10 फीसदी टैक्स देना होता है. इस समय 10 से 12 लाख रुपये तक की इनकम पर 15 फीसदी टैक्स लगता है.