रुपया बना हीरो, डॉलर बना जीरो! करेंसी मार्केट में दिखा भारत का दम

भारतीय रुपया लगातार तीसरे दिन डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है. बुधवार को यह 26 पैसे की तेजी के साथ 85.54 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. इस तेजी के पीछे मुख्य कारण हैं. तीन कारोबारी दिनों में रुपया एक रुपए से ज्यादा मजबूत हो चुका है. इसके अलावा महंगाई दर में कमी और मार्च महीने में निर्यात में सुधार ने भी भारतीय मुद्रा को सपोर्ट दिया है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

एक वक्त था जब डॉलर को देख भारतीय रुपया घबराता था, लेकिन अब तस्वीर उलटती नजर आ रही है. बुधवार को शुरुआती कारोबार में ही रुपया 26 पैसे मजबूत होकर 85.54 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. इसकी वजहें साफ हैं. विदेशी निवेशकों की शेयर बाजार में वापसी, डॉलर की कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट. तीन कारोबारी दिनों में रुपया कुल मिलाकर एक रुपए से ज्यादा मजबूत हो चुका है.

इस तेजी ने न सिर्फ करेंसी मार्केट को चौंकाया, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक बार फिर चर्चा में ला दिया है. ऐसा इसलिए भी खास है क्योंकि भारत का शेयर बाजार अब ट्रंप टैरिफ के नुकसान से उबरने वाला दुनिया का इकलौता बड़ा बाजार बन चुका है. डॉलर के सामने इस ‘रुपया रॉक’ का अंदाज दुनिया भर के आर्थिक गलियारों में गूंज रहा है.

विदेशी निवेश और कमजोर डॉलर से मिला बूस्ट  

बुधवार को इंटरबैंक फॉरेन करेंसी मार्केट में रुपया 85.66 पर ओपन हुआ और कुछ ही समय में 85.54 पर पहुंच गया. मंगलवार को यह 85.80 पर बंद हुआ था यानी उस दिन भी 30 पैसे की मजबूती दर्ज की गई थी. इससे पहले शुक्रवार को 58 पैसे का उछाल देखने को मिला था. इस तरह तीन कारोबारी दिनों में रुपया 1 रुपए से ज्यादा मजबूत हुआ है. सोमवार को बाबा साहेब अंबेडकर जयंती और शुक्रवार को गुड फ्राइडे की छुट्टियों के कारण करेंसी मार्केट बंद रहा, लेकिन इसके बावजूद भारतीय मुद्रा ने जो प्रदर्शन किया, वो तारीफ के काबिल है.  

डॉलर इंडेक्स फिसला, रुपया चमका  

छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.47% गिरकर 99.49 पर आ गया है, जो 1 मार्च 2022 के बाद सबसे निचला स्तर है. यह गिरावट साफ इशारा कर रही है कि डॉलर की ताकत अब डगमगाने लगी है, जबकि भारत जैसे उभरते बाजार की मुद्रा चमकने लगी है.

कच्चे तेल की कीमतें 4 साल के न्यूनतम स्तर पर  

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.36% गिरकर 64.44 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है. यह कीमत अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है. कच्चे तेल की गिरती कीमतों से भारत जैसे आयात-निर्भर देश को आर्थिक रूप से काफी राहत मिलती है और रुपए को भी मजबूती मिलती है.

शेयर बाजार ने भी दिया भरोसा  

हालांकि बुधवार को सेंसेक्स 118.02 अंक गिरकर 76,616.87 और निफ्टी 41.10 अंक गिरकर 23,287.45 पर बंद हुआ, लेकिन मंगलवार को दोनों इंडेक्स में 2% से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई थी. कुल मिलाकर दो दिनों में बाजार 4% चढ़ चुका है. एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) ने मंगलवार को ₹6,065.78 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की है. यह निवेश रुपए को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

महंगाई में राहत, निर्यात में भी सुधार  

सरकार द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में थोक महंगाई घटकर 2.05% पर आ गई, जो 6 महीने का सबसे निचला स्तर है. वहीं खुदरा महंगाई 3.34% पर आ गई, जो करीब 6 साल का निचला स्तर है. इसके अलावा मार्च में निर्यात 0.7% बढ़कर 41.97 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि पूरे वित्त वर्ष में भारत का कुल निर्यात 820 अरब डॉलर रहा. अब तक का सर्वाधिक. यह सब दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी स्थिर और आत्मनिर्भर बनती जा रही है.

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16 April 2025, 11:04 AM IST

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