मध्य पूर्व में जारी उठापटक का असर अब दुनियाभर में देखने को मिल सकता है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. रूस और ईरान पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण कच्चे तेल की सप्लाई लाइन अब कमजोर पड़ने लगी है.इस कारण अंत्तराष्ट्रीय बाजार में तेल की किल्लत हो सकती है. इसी आशंका में पिछले पांच दिन में कच्चे तेल के दाम छह फीसदी ऊपर चढ़ गए हैं. जो पिछले तीन हफ्ते के सबसे ऊंचे स्तर पर है.
यही स्थिति बरकरार रही और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की धार नीचे नहीं आई तो भारत में भी पेट्रोल-डीजल महंगे हो सकते हैं. इससे आम लोगों को भी महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी. कच्चे तेल की कीमतें शुक्रवार को 2 प्रतिशत बढ़कर तीन सप्ताह के उच्चतम स्तर पर बंद हुई हैं. रूस और ईरान पर लगे प्रतिबंधों के चलते आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है.
दूसरी ओर अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती के कारण कच्चे तेल की अधिक खऱीदारी के कारण भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़े हैं.अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ग्लोबल फ्यूल के रूप में कच्चे तेल की मांग को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है.
कच्चे तेल की कीमत
इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड 74.49 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि WTI क्रूड 71.29 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. यह पिछले तीन सप्ताह में कच्चे तेल की सबसे ऊंची कीमत थी. वहीं WTI ने सोमवार से शुक्रवार की अवधि यानी पांच दिनों में कच्चे तेल में छह प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है. भारतीय बाजार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कच्चे तेल का वायदा 1.1 प्रतिशत बढ़कर 6,044 रुपये प्रति बैरल पर बंद हुआ है.
अभी और चढ़ेंगे तेल के दाम
बाजार के जानकारों का मानना है कि कच्चे तेल के दाम अभी और चढ़ेंगे. चीनी आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया के सबसे बड़े आयातक यानी चीन से कच्चे तेल का आयात नवंबर में सालाना आधार पर सात महीनों में पहली बार बढ़ा है. 2025 की शुरुआत तक यह उच्च स्तर पर बना रहेगा. यूरोपीय संघ ने भी रूस के खिलाफ कई तरह के प्रतिबंध लगाने पर सहमति जताई है. अमेरिका भी ऐसे कई कदमों पर विचार कर रहा है. इससे साफ है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम और अधिक बढ़ने के आसार हैं. First Updated : Sunday, 15 December 2024