दवाब या फिर रणनीति! एप्पल लगातार भारत में बढ़ा रहा आईफोन का प्रोडक्शन, जानिए चीन से दूर जाने की वजह
एप्पल अब अपने कुल iPhone उत्पादन का 20 प्रतिशत भारत में बनाता है, जो कंपनी की विविधीकरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. इनमें से अधिकांश असेंबली लाइन दक्षिण भारत में हैं. इस बीच, टाटा समूह भी इसमें अब अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जो विस्ट्रॉन कॉर्प के व्यवसाय को संभालने के बाद पेगाट्रॉन के संचालन करता है.

एप्पल इंक ने कथित तौर पर भारत में अपने आईफोन निर्माण को बढ़ाया है. पिछले वित्तीय वर्ष में 22 बिलियन डॉलर के गैजेट्स को असेंबल किया है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत अधिक है. यह विस्तार चीन से दूर जाने की रणनीति को दर्शाता है, क्योंकि यह भू-राजनीतिक और परिचालन संबंधी प्रतिकूलताओं के बीच अपनी आपूर्ति श्रृंखला के प्रयासों को बढ़ावा दे रहा है.
भारत में बन रहे आईफोन
सूत्रों के अनुसार, एप्पल अब अपने कुल iPhone उत्पादन का 20 प्रतिशत भारत में बनाता है, जो कंपनी की विविधीकरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. इनमें से अधिकांश असेंबली लाइन दक्षिण भारत में हैं. इस बीच, टाटा समूह भी इसमें अब अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जो विस्ट्रॉन कॉर्प के व्यवसाय को संभालने के बाद पेगाट्रॉन के संचालन करता है.
कोविड-19 से संबंधित लॉकडाउन के कारण अपने सबसे बड़े चीनी संयंत्र में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होने के बाद से एप्पल लगातार अपना परिचालन भारत में स्थानांतरित कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यापक विनिर्माण अभियान के साथ-साथ भारत सरकार के प्रोत्साहनों से भी इस गति को और बल मिला है.
भारत निर्मित आईफोन ने वैश्विक शिपमेंट में बढ़त हासिल की
दक्षिण एशियाई देश न केवल एक महत्वपूर्ण विनिर्माण आधार बन गया है, बल्कि एक प्रमुख निर्यात केंद्र भी बन गया है. भारत ने मार्च 2025 तक के वित्तीय वर्ष में 1.5 ट्रिलियन (17.4 बिलियन डॉरल) के iPhone एक्सपोर्ट किए. अमेरिका को निर्यात में उछाल आया, खासकर फरवरी में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पारस्परिक टैरिफ की घोषणा के बाद एक ऐसा कदम जिसने Apple के आउटबाउंड शिपमेंट को कैसे संरचित किया.
अमेरिका की टेक कंपनियों पर बढ़ा दवाब
ट्रंप की व्यापक टैरिफ व्यवस्था से स्मार्टफोन और कंप्यूटर सहित इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों पर हाल ही में दी गई छूट ने एप्पल और एनवीडिया कॉर्प जैसी फर्मों को राहत दी है, लेकिन चीनी आयात पर 20 प्रतिशत का अलग शुल्क अभी भी बना हुआ है. चीन पर कुल मिलाकर 145 प्रतिशत टैरिफ लगने के साथ, एप्पल और अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर चीनी विनिर्माण से दूर जाने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है.
फिर भी कोई भी तेज बदलाव असंभव है. भारत में एप्पल के बढ़ते प्रभाव के बावजूद कंपनी वैश्विक स्तर पर लगभग 200 आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है, जिनमें से अधिकांश अभी भी चीन में ही हैं. सीमित कुशल श्रम और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी संरचनात्मक चुनौतियों के कारण भारत जैसे बाजारों में बड़े पैमाने पर बदलाव में देरी होने की संभावना है. एक अनुमान के अनुसार, एप्पल के उत्पादन का सिर्फ़ 10 प्रतिशत हिस्सा चीन से बाहर स्थानांतरित करने में आठ साल तक का समय लग सकता है.
एप्पल की वैश्विक रणनीति में भारत की भूमिका बढ़ी
सभी iPhone मॉडल, जिसमें हाई-एंड टाइटेनियम प्रो वर्जन भी शामिल हैं. अब भारत में असेंबल किए जाते हैं, जो Apple के वैश्विक संचालन में देश के महत्व को पुख्ता करता है. यह बदलाव भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले उत्पादन-संबंधी प्रोत्साहनों से प्रेरित है. मोदी का प्रशासन सेमीकंडक्टर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2.7 बिलियन डॉलर के नए पैकेज के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स घटक निर्माण में भी प्रयास बढ़ा रहा है. भारत के बढ़ते स्मार्टफोन बाजार में एप्पल की हिस्सेदारी 8 प्रतिशत है. कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में करीब 8 बिलियन डॉलर की बिक्री दर्ज की, जिसमें आईफोन सबसे आगे रहा.