Wilful Defaulters : भारतीय रिजर्व बैंक ग्राहकों के हित के लिए हमेशा नए नियमों को लागू करता है. समय-समय पर ऐसे फैसले लिए जाते हैं जिससे खाताधारकों को लाभ पहुंचाया जा सके. अब आरबीआई ने विलफुल डिफॉल्टर के लेकर प्रावधानों में बदलाव करने की तैयारी कर रहा है. जिससे बैंकों के लिए उन ग्राहकों को विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट में डालने का प्रोसेस पहले से आसान हो जाएगा. इतना ही केंद्रीय बैंक के इस फैसले से जो लोग लोन की किस्तें जमा नहीं कर रहे हैं, इस लिस्ट के अंदर शामिल ग्राहकों को अपने नाम से डिफॉल्टर हटवाने का अवसर मिलेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर के संबंध में मास्टर डाइरेक्शन का ड्राफ्ट जारी किया है. ड्राफ्ट में कहा गया है कि अगर विलफुल की लिस्ट में कोई अकाउंट शामिल है और उस को लेकर बैंक व लोन लेने वाले सेटलमेंट पर सहमत होते हैं तो ऐसे में अकाउंट को विलफुल की लिस्ट से हटाया जा सकता है. लेकिन ऐसा कर्जदार ने सहमति की पूरी लोन का भुगतान कर दिया हो तभी संभव है.
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आरबीआई ने विलफुल डिफॉल्टर के संबंध में नया ड्राफ्ट जारी किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं. विलफुल डिफॉल्टर किसे कहते हैं? दरअसल विलफुल डिफॉल्टर वो कर्जदार होते हैं. जो जानबूझकर लोन की किस्ते नहीं जमा करते हैं. रिजर्व बैंक ड्राफ्ट पर संबंधित पक्षों की प्रतिक्रियाओं पर गौर करने के बाद अधिसूचना जारी करेगा.
जानकारी के अनुसार देश में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में कमी देखने को मिली है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 2,469 थी. फिर 2020-21 में यह संख्या 1,063 हो गई. इस हिसाब से 6 वर्षों में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में 50 फीसदी की कमी हुई है. वहीं 2019-20 में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 597 थी. First Updated : Monday, 25 September 2023