SC ने दिल अफजा शरबत निर्माण पर लगाई रोक, रूह अफजा को मिली बड़ी जीत
बुधवार 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान दिल अफजा शरबत निर्माताओं की तरफ से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सही था। जिसमें वे हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।
Rooh Afza Vs Dil Afza : पिछले कुछ समय से रूह-अफजा और दिल-अफजा नाम चर्चा में बने हुए हैं। दोनों की कंपनियां शरबत बनाने का काम करती है। लेकिन दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ जो मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दरअसल बुधवार 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान दिल अफजा शरबत निर्माताओं की तरफ से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया।
दिल्ली हाई में रूह अफजा बनाने वाली हमदर्द फाउंडेशन की अपील कर दिल अफजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने दिल अफजा शरबत पर रोक लगा दी थी। कंपनी ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी, और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने की सुनवाई
बुधवार को दिल अफजा और रूह अफजा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसकी मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने की। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सही था। जिसमें वे हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। कोर्ट ने कहा रूह अफजा सालों के पूरे भारत में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रतिष्ठा है। अचानक से आप दवाएं बेचते हैं और शरबत बेचना शुरू कर देते हैं।
कोर्ट ने किया सवाल
अदालत ने आगे कहा कि अगर कोई कस्टमर रूह अफजा मांगे और बदले मे दिल अफजा मिले तो क्या इससे फर्क पड़ेगा? इसके जवाब में हमदर्द के वकील ने कहा कि यह शरबत कई वर्षों पुराना है और इसने एक स्टेटस हासिल कर लिया है। वकील ने कहा बोतल में गोल छल्ले हैं जो “बेईमान इरादे दिखाते हैं”।
वकील ने कोर्ट से कहा कि दिल अफजा रूह अफजा का एक प्रकार जैसा दिखता है। जिससे कंपनी की साख पर सवार होकर बिजनस कर रहा है। सुनवाई के दौरान हमदर्द ने कोर्ट को बताया कि दिल अफजा 2020 से बेच रहे हैं और हम 1907 से रूह अफजा बेच रहे हैं।
उसने आगे कहा कि दिल अफज़ा के निर्माता सदर लैबोरेटरीज ने इसके ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है। क्योंकि ‘दिल’ और ‘रूह’ शब्दों के समान अर्थ हैं।