Ratan Tata Will: भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा की 10,000 करोड़ रुपये की वसीयत में उनके सहयोगी शांतनु नायडू को भी स्थान दिया गया है. इसके अलावा, उन्होंने अपने पालतू कुत्ते टीटो और अपने लंबे समय से जुड़े कर्मचारियों को भी अपनी संपत्ति में हिस्सेदारी देकर सभी को हैरान कर दिया है.
9 अक्टूबर को रतन टाटा के निधन के बाद उनकी वसीयत को लेकर कई तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं. टाटा ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा चैरिटी संगठनों को भी दिया है.
रतन टाटा ने आरएनटी कार्यालय के महाप्रबंधक शांतनु नायडू के वेंचर गुडफेलो में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी है. उन्होंने शांतनु नायडू की शिक्षा के लिए लिया गया कर्ज भी माफ कर दिया है. शांतनु नायडू और टाटा एक दूसरे के बेहद करीब माने जाते थे. शांतनु नायडू ने अपनी शिक्षा के बाद टाटा के निजी कार्यालय में काम शुरू किया और समाजिक बदलाव के प्रति अपने प्रयासों को निरंतर आगे बढ़ाया.
टाटा की वसीयत में 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का वितरण किया गया है, जिसमें अलीबाग का समुद्र तट बंगला, मुंबई में जुहू तारा रोड पर दो मंजिला घर और टाटा संस में उनकी हिस्सेदारी शामिल हैं. इस संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन को दिया जाएगा, जो चैरिटी ट्रस्टों के साथ मिलकर सामाजिक कार्यों में लगेगा.
रतन टाटा ने अपनी वसीयत में अपने जर्मन शेफर्ड टीटो की आजीवन देखभाल की गारंटी देने का प्रावधान शामिल किया है. टीटो की देखभाल उनके लंबे समय से रसोइया राजन शॉ करेंगे. इस तरह का प्रावधान भारत में कम ही देखने को मिलता है, लेकिन पश्चिमी देशों में यह आम बात है.
रतन टाटा ने अपनी सौतेली बहनों, शिरीन और डीना जेजीभॉय, अपने भाई जिमी टाटा और अन्य करीबी सहयोगियों को अपनी संपत्ति का हिस्सा दिया है. इसके अलावा, उनके लंबे समय के वफादार बटलर सुब्बैया को भी उन्होंने अपनी वसीयत में शामिल किया.
टाटा ने अपने जुहू स्थित घर, कोलाबा के हेलेकाई हाउस, और अपनी लगभग 20-30 कारों के संग्रह को भी अपने उत्तराधिकारियों को सौंपा है. उनकी वसीयत की प्रोबेट प्रक्रिया बॉम्बे हाई कोर्ट में होगी और अंतिम रूप देने में कई महीने लग सकते हैं.
रतन टाटा ने अपनी अंतिम इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपनी सौतेली बहनों के अलावा वकील डेरियस खंबाटा और अपने विश्वासपात्र मेहली मिस्त्री को अपनी वसीयत का निष्पादक बनाया है. First Updated : Friday, 25 October 2024