दुनिया की सबसे बड़ी उपभोक्ता सामान कंपनी नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. एक जांच में पता चला है कि कंपनी भारत और अन्य देशों में बच्चों को खाने वाले प्रोडक्ट सेरेलेक्स और दूध में मिलावट करता है. जबकि यूरोप और ब्रिटेन के बाजारों में वह शुद्ध और बिना मिलावट के बेबी फूड उपलब्ध करा रहा है. नेस्ले के इस करतूत को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भड़क गया है,
नेस्ले के प्रोडक्ट में मिलावट होने का खुलासा स्विस जांच संगठन पब्लिक आई और आईबीएएएन ने किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी उपभोक्ता सामान कंपनी नेस्ले भारत सहित कई देशों में शिशु के दूध और अनाज उत्पादों में चीनी और शहद मिलाती है. यह सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन है जो मोटापे और पुरानी बीमारियों को रोकने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में नेस्ले के दो सबसे ज्यादा बिकने वाले बेबी-फूड ब्रांडों में उच्च स्तर की अतिरिक्त चीनी मिलाई जाती है. हालांकि कंपनी यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी स्विट्जरलैंड और अन्य विकसित देशों में यह बेबी-फूड बिल्कुल शुद्ध उपलब्ध कराया जाता है. जांच में पता चला है कि भारत में उपलब्ध कराए जाने वाले शिशु उत्पादों में प्रति सेवारत औसतन लगभग 3 ग्राम चीनी होती है.
इस जांच रिपोर्ट पर WHO के एक वैज्ञानिक निगेल रोलिंस का कहना है कि यहां दोहरा मानक है जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता है. वैज्ञानिक निगेल रोलिंस ने आगे कहा कि स्विट्जरलैंड में नेस्ले इन प्रोडक्ट में मिलावट नहीं करता है यानी शुगर ऐड नहीं करता है लेकिन भारत के साथ कुछ देशों में ऐसा कर रहा है जो की उचित नहीं है. WHO ने इस मिलावट को लेकर कंपनी को चेतावनी दी है और कहा है कि, शिशु को जीवन की शुरुआत से चीनी देने से उस पर मोटापा और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार के उत्पादों की पैकेजिंग पर उपलब्ध पोषण संबंधी जानकारी में अक्सर अतिरिक्त चीनी को शामिल नहीं किया जाता है, जबकि नेस्ले आदर्श इमेजरी का उपयोग करके अपने उत्पादों में निहित विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों को प्रमुखता से उजागर करती है, लेकिन यह पारदर्शी नहीं है. First Updated : Thursday, 18 April 2024