दुबई में कोई इनकम टैक्स नहीं, फिर भी कैसे होती है इतनी कमाई? जानकर चौंक जाएंगे आप
दुबई में रहने वाले नागरिकों पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता. पहले दुबई में कुछ कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स नहीं लगता था. लेकिन 2023 से, UAE ने कुछ कंपनियों के लिए 9% कॉर्पोरेट टैक्स लागू किया है. दुबई का आर्थिक मॉडल उसे बिना आयकर के भी मजबूत बनाए रखता है. दुबई की सरकार को जरूरी राजस्व तेल, गैस, पर्यटन, और रियल एस्टेट से मिलता है.

दुबई को अपने कर-मुक्त के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, जो प्रवासियों और व्यापारियों को आकर्षित करता है. यहां पर व्यक्तिगत आयकर नहीं है, जो कि कर्मचारियों और व्यवसाय मालिकों के लिए एक बड़ा फायदा है. दुबई के कर सिस्टम को समझना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, चाहे आप एक कर्मचारी हों या व्यवसायी.
दुबई में कोई व्यक्तिगत आयकर नहीं है. इसका मतलब है कि यहां रहने वाले या काम करने वाले लोगों को अपनी आय पर कर नहीं देना पड़ता, चाहे वे स्थानीय हों या प्रवासी.
आयकर न होने के फायदे:
- उच्च प्रयोज्य आय: कर्मचारियों को उनका पूरा वेतन मिलता है.
- बड़ी बचत: बिना कर कटौती के लोग अधिक आसानी से बचत या निवेश कर सकते हैं.
- आकर्षक नौकरी बाजार: कर-मुक्त प्रणाली दुनिया भर से पेशेवरों को आकर्षित करती है.
दुबई में बिना व्यक्तिगत आयकर के कमाई कैसे होती है?
कॉर्पोरेट टैक्स: दुबई में कंपनियों को 2023 से व्यावसायिक मुनाफे पर 9% का टैक्स देना होता है, अगर उनकी आय AED 375,000 से ज्यादा हो.
उद्योग-विशिष्ट कर:
- तेल कंपनियों पर 55% से 85% तक कर लगता है.
- विदेशी बैंकों पर 20% का टैक्स है.
- स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों को कुछ राहत मिलती है, और उन्हें कम आय वाले व्यवसायों के लिए टैक्स छूट मिलती है.
दुबई में अन्य कर और शुल्क:
वैट (मूल्य वर्धित कर): 2018 में लागू किया गया 5% का वैट ज्यादातर सामान और सेवाओं पर लगता है.
नगरपालिका कर: उपयोगिता बिल और संपत्ति पर छोटे कर लगते हैं.
पर्यटन कर: होटल, रेस्तरां और अन्य पर्यटन सेवाओं पर शुल्क लिया जाता है.
दोहरा कराधान समझौता (डीटीए): दुबई का दोहरे कराधान समझौते (डीटीए) का एक व्यापक नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी एक व्यक्ति या व्यवसाय पर एक ही आय पर दो बार कर न लगे. इसमें 100 से अधिक देशों के साथ समझौते हैं, जैसे यूके, भारत, और अमेरिका.
दुबई में आयकर क्यों नहीं है?
दुबई का आर्थिक मॉडल उसे बिना आयकर के भी मजबूत बनाए रखता है. दुबई की सरकार को जरूरी राजस्व तेल, गैस, पर्यटन, और रियल एस्टेट से मिलता है. इसके अलावा, 5% वैट भी लागू किया गया है, जिससे सार्वजनिक सेवाओं को वित्तपोषित किया जाता है.
इस तरह दुबई अपने कर-मुक्त वातावरण को बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है. जबकि व्यक्तिगत आयकर नहीं है, लेकिन कॉर्पोरेट टैक्स और अन्य शुल्क लागू होते हैं.


