केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया ऐलान, वर्ष 2025 तक देश में 121 एयरपोर्ट्स को बनाया जाएगा कार्बन न्यूट्रल
केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यूरोपीय संघ-भारत विमानन शिखर सम्मेलन में कहा कि हम देश के 25 हवाईअड्डे को 100 फीसदी हरित ऊजा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुरुवार 20 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दो दिवसीय यूरोपीय संघ-भारत विमानन शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। जिस दौरान उन्होंने कहा कि हम देश के 25 हवाईअड्डे को 100 फीसदी हरित ऊजा का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 तक देश में लगभग 121 एयरपोर्ट्स को कार्बन न्यूट्रल बनाया जाएगा।
आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए केंद्रीय मंत्री खुद जाने वाले थे। लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने के बाद वो नहीं जा पाए और उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेना पड़ा। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में भारत के उद्योग जगत के अधिकारी और नीति निर्माता भी शामिल होंगे व कई विषयों पर चर्चा करेंगे।
कार्यक्रम में बोले सिंधिया
दो दिवसीय यूरोपीय संघ-भारत विमानन शिखर सम्मेलन में को केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विमानन उद्योग ने निकलने वाला उत्सर्जन जांच के दायरे में रहा है। इस कारण हमने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और विमानन उद्योग से उत्सर्जन को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत हवाई परिवहन में दो क्षेत्रों की मुश्किलों पर पर ध्यान देगा और उसका समाधान करेगा।
कई मुद्दों पर हुई चर्चा
इस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम आशा करते हैं कि शिखर सम्मेलन यूरोपीय संघ और भारत दोनों के शीर्ष स्तर के नीति निर्माताओं, उद्योग के अधिकारियों और हितधारकों को एक साथ लाएगा। इसमें कोरोना के समय इस हवाई यातायात में हुए नुकसान की भरपाई, स्थिरता में वृद्धि, मानव रहित विकास विमान प्रणाली, सुरक्षा बनाए रखना शामिल हैं।
इन अवसरों का लाभ उठाएं
उड्डयन मंत्री ने कहा कि यूरोपीय संघ के उद्योग के खिलाड़ियों से इन अवसरों का लाभ उठाने और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते विमानन उद्योग का हिस्सा बनने की अपील की। सिंधिया ने कहा, उत्सर्जन में विमानन उद्योग की हिस्सेदारी पर कड़ी नजर है। उन्होंने आगे कहा कि विमानन उद्योग से कार्बन उत्सर्जन को कम करने और इसके असर को दूर करने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं।