अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिका मेंधोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए हैं, जिसके बाद अब यह मामलाअमेरिकी अदालत में तेजी से बढ़ रहा है. अमेरिकी अभियोजकों काआरोप है कि गौतम अडानी और उनके सहयोगियों ने भारत में सरकारी ठेके हासिल करने केलिए 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत दी. यह मामला अब तक कई देशों की अदालतों में चर्चा का विषय बना हुआ है, और अब सवाल यह है कि इस केस में आगे क्या होगा?
अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि अडानी ग्रुप ने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी. 2019 और 2020 में अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड औरमॉरिशस की एज्यूर पावर ग्लोबल लिमिटेड को भारत सरकार से सोलर एनर्जी प्रोडक्शन के लिए ठेके मिले थे. आरोप है कि ये कंपनियां आपस में मिलकर भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए सहमत हुईं, ताकि वे महंगे प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक हासिल कर सकें.
अमेरिका का कानून और जांच प्रक्रिया अमेरिका में "Foreign CorruptPractices Act" (FCPA) नामक कानून है, जो अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों को विदेशों में रिश्वत देने से रोकता है. चूंकि एज्यूर पावर ग्लोबल लिमिटेड अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है, इस वजह से अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) और अन्य एजेंसियों ने इसमामले की जांच शुरू की.अमेरिका का आरोप है कि अडानी ग्रीन और एज्योर ने जानबूझकर रिश्वत दी, जिससे उनके निवेशकों को धोखा हुआ और वे जोखिम में डाले गए. इस मामले में गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ प्रतिभूति धोखाधड़ी, साजिश और वायर धोखाधड़ी के आरोप हैं.
अमेरिका की अदालत ने अडानी और उनकेसहयोगियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए हैं. अब यहसवाल उठ रहा है कि क्या अडानी की गिरफ्तारी होगी या उन्हें कोर्ट में पेश होनापड़ेगा?
1. अधिकारियों की जांच: अमेरिकीअभियोजकों के मुताबिक, इस मामले में शामिल अधिकारियों ने दस्तावेज़ों को छिपाने और सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की. इन अधिकारियों ने आरोपों को छिपाने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई.
2. गिरफ्तारी वारंट और प्रक्रिया: अमेरिकी कानून के अनुसार, जब किसी आरोपी के खिलाफ वारंट जारी होता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. अगर आरोपी अमेरिका से बाहर है, तो मामले को विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपा जा सकता है. इससे यह संभावना बनती है कि अडानी या उनके सहयोगी विदेशों में गिरफ्तार किए जा सकते हैं.
3. अदालत में पेशी: गिरफ्तारीवारंट जारी होने के बाद, अभियोग पत्र के साथ आरोपी को अदालत मेंपेश किया जाता है. इसके बाद अदालत मामले की सुनवाई शुरूकरती है और आरोपी पर आरोप तय किए जाते हैं. अगर जांच में कोई ठोस साक्ष्य मिलता है तो आरोपी को सजा भी हो सकती है.
अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों कोनिराधार बताया है और उनका कहना है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. अडानी ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया उनके खिलाफ षड्यंत्र है और वे अदालत में अपनी स्थितिस्पष्ट करेंगे.
अडानी ग्रुप के खिलाफ भारत में कोई गंभीर कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन अमेरिकी अदालत में चल रही जांच ने इस पूरे मामले को और जटिल बना दिया है. भारत में इस मामले पर प्रतिक्रिया की कमी नहीं है, लेकिन अभी तक भारत सरकार ने इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है. First Updated : Friday, 22 November 2024