Budget 2025: केंद्रीय बजट 2025 के लिए अर्थशास्त्रियों ने सरकार से एक महत्वपूर्ण आग्रह किया है – वे चाहते हैं कि आयकर दरों में कटौती की जाए ताकि नागरिकों की डिस्पोजेबल आय (वह आय जिसे वे खर्च या बचत कर सकते हैं) बढ़े. उनका मानना है कि इससे लोग ज्यादा बचत करेंगे और जरूरी चीजों पर खर्च कर सकेंगे. इससे घरेलू मांग को भी बढ़ावा मिलेगा और खासकर उन सेक्टर्स को फायदा होगा, जो कमजोर खपत से जूझ रहे हैं.
कर दरों में कटौती से आर्थिक सुधार की उम्मीद
अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की गई बजट-पूर्व बैठक में यह सुझाव दिया कि आयकर दरों को कम करना चाहिए. उनका कहना है कि इससे देश में बचत और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. इस दौरान, उन्होंने यह भी कहा कि सीमाशुल्क दरों में सुधार और गरीबों को लक्षित लाभ देने से वित्तीय स्थिरता में सुधार हो सकता है. विशेष रूप से निम्न आय वर्ग के लिए कम कर दरें सीधे तौर पर उनके घरेलू बजट को प्रभावित करेंगी और उपभोग बढ़ाएंगी.
प्रधानमंत्री का ध्यान रोजगार सृजन पर
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने रोजगार सृजन को सरकार की प्राथमिकता बताया और इसके लिए आवश्यक नीतिगत सुधारों की बात की. इसके साथ ही, उन्होंने डेटा की गुणवत्ता सुधारने और कमजोर खपत, मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए कुछ लक्षित हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर भी बल दिया. प्रधानमंत्री ने भारत को 2047 तक "विकसित भारत" बनाने का संकल्प दोहराया और कहा कि इसके लिए परिवर्तनकारी सोच की जरूरत होगी, खासकर जब वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा हो.
कमज़ोर खपत और मुद्रास्फीति की चुनौतियां
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत की घरेलू खपत उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पाई है. जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी में केवल 5.4% की वृद्धि हुई, जो दो वर्षों में सबसे धीमी वृद्धि है. यही नहीं, बढ़ती मुद्रास्फीति भी एक बड़ी चिंता का कारण बनी हुई है. नवंबर में मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के 4% के लक्ष्य से ऊपर रही, जिससे घरेलू बजट पर दबाव पड़ा. इससे डिस्पोजेबल आय कम हो गई और विवेकाधीन खर्च पर भी असर पड़ा है.
विकास के लिए सुधार की आवश्यकता
मुद्रास्फीति और कमजोर खपत से निपटने के लिए अर्थशास्त्रियों ने कुछ उपायों की सिफारिश की है. इनमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खर्च और कृषि क्षेत्र के बाहर रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना शामिल है. इन उपायों से विकास को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है.
आयकर सुधारों का इतिहास
पिछले साल केंद्रीय बजट 2024-25 में आयकर प्रणाली में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे. उदाहरण के लिए, 10 लाख रुपये तक की आय पर आयकर स्लैब में छूट दी गई थी और वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों के लिए मानक कटौती को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया था. इसके अलावा, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एनपीएस अंशदान पर भी बढ़ोतरी की गई थी.
आगामी बजट के लिए उद्योग की सिफारिशें
उद्योग संगठनों जैसे सीआईआई, फिक्की और पीएचडीसीसीआई ने भी आगामी बजट 2025 के लिए कई सिफारिशें दी हैं. उन्होंने पूंजीगत लाभ कर के सरलीकरण, टीडीएस प्रावधानों में कमी और जीएसटी में सुधार की बात की है. उनका कहना है कि यह सभी सुधार भारत में व्यापार करने में आसानी पैदा करेंगे और कर प्रक्रियाओं को सरल बनाएंगे.
सरकार के सामने चुनौती
आर्थिक विकास को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और खपत को बढ़ाने के लिए सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं. अगर सरकार आयकर दरों में कटौती करती है और अर्थशास्त्रियों के सुझावों पर अमल करती है, तो इससे न केवल बचत को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि घरेलू खपत में भी सुधार हो सकता है. साथ ही, इससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलेगा. First Updated : Wednesday, 25 December 2024