Year Ender 2024: इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में दिखे कई उतार-चढ़ाव
Year Ender 2024: साल 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूत विकास और विदेशी निवेश में वृद्धि को देखा, लेकिन मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं ने कई चुनौतियां भी पेश कीं. विकास के बावजूद महंगाई और उपभोग में कमी ने आर्थिक कमजोरियों को उजागर किया. इस साल, आर्थिक स्थिरता और विकास के संकेतों के बीच घरेलू और वैश्विक दबावों ने संतुलन को चुनौती दी.
Year Ender 2024: साल 2024 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मिश्रित अनुभव लेकर आया. जहां एक ओर मजबूत वृद्धि और नीतिगत सुधारों ने उम्मीदें जगाईं, वहीं दूसरी ओर मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं ने कई चुनौतियां पेश कीं. विकास के संकेतों और आर्थिक स्थिरता के बीच, घरेलू और वैश्विक दबावों ने भारतीय अर्थव्यवस्था के संतुलन को चुनौती दी.
इस साल का सबसे बड़ा आकर्षण भारत की उच्च विकास दर और विदेशी निवेश में वृद्धि रही. साथ ही, बढ़ती महंगाई और उपभोग में कमी ने अर्थव्यवस्था की कमजोरियों को भी उजागर किया. आइए, 2024 की भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर एक नज़र डालें.
भारत की प्रभावशाली GDP वृद्धि
2024 में, भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 8.2% की प्रभावशाली GDP वृद्धि दर्ज की. घरेलू मांग, सरकारी नीतियों और निर्यात क्षेत्र में मजबूती के चलते यह वृद्धि संभव हो सकी. इसने भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक चमकता हुआ सितारा बना दिया.
विदेशी मुद्रा भंडार ने बनाए नए रिकॉर्ड
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वर्ष के अधिकांश समय 600 बिलियन डॉलर के आसपास बना रहा. सितंबर 2024 में, भारत दुनिया के चौथे सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों में शामिल हुआ. आरबीआई के अनुसार, 27 सितंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंचा.
ग्रामीण और शहरी उपभोग में बदलाव
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अनुसार, 2024 में पहली बार भोजन पर घरेलू खर्च कुल मासिक खर्च के आधे से कम हो गया. ग्रामीण भारत में कृषि आय और सरकारी समर्थन के चलते उपभोग में बढ़ोतरी देखी गई.
मजबूत औद्योगिक और सेवा क्षेत्र
विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) ने वर्षभर 55 से अधिक का औसत बनाए रखा, जिससे सतत औद्योगिक गतिविधि और मजबूत सेवा क्षेत्र की वृद्धि को बल मिला.
FDI और निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि
2024 में भारत ने FDI प्रवाह में नया रिकॉर्ड बनाया, जो 1 ट्रिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं और निवेशक-अनुकूल नीतियों ने वैश्विक पूंजी आकर्षित की.
GST संग्रह में मजबूती
2024 में मासिक GST संग्रह औसतन 1.7 लाख करोड़ रुपये रहा. इससे न केवल राजकोषीय स्थिरता को बढ़ावा मिला, बल्कि कर अनुपालन और दक्षता भी बढ़ी.
मुद्रास्फीति और महंगाई की चिंता
हालांकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति आरबीआई के 2-6% के लक्ष्य रेंज में बनी रही, लेकिन बढ़ती खाद्य और ईंधन की कीमतों ने उपभोक्ताओं पर दबाव बढ़ाया. अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 6.21% तक पहुंच गई, जो पिछले 14 महीनों का उच्चतम स्तर था.
विकास दर में धीमापन
वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में GDP वृद्धि 5.4% रही, जो पिछली तिमाहियों की तुलना में कम थी. विनिर्माण उत्पादन में गिरावट और उपभोक्ता मांग में कमी इसके मुख्य कारण रहे.