सावधान! कहीं आप भी ना हो जाएं डिजिटल अरेस्ट का शिकार, जानें इससे बचने का तरीका

Digital Arrest: भारत में ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, जिनमें से एक नया और खतरनाक तरीका है डिजिटल अरेस्ट. इसमें अपराधी खुद को पुलिस या अन्य अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत कर लोगों को धमकाते हैं और डर का माहौल बनाकर उनसे पैसे ऐंठते हैं. सतर्कता और जागरूकता से ही हम डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अपराधों से खुद को और अपने प्रियजनों को बचा सकते हैं.

Shivani Mishra
Shivani Mishra

Digital Arrest: भारत में ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, जिनमें से एक नया और खतरनाक तरीका है डिजिटल अरेस्ट. इसमें अपराधी खुद को पुलिस या अन्य अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत कर लोगों को धमकाते हैं और डर का माहौल बनाकर उनसे पैसे ऐंठते हैं. हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई खो दी है. 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, पिछले कुछ सालों में साइबर अपराध के मामलों में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में यह स्कैम समाज में एक नई चुनौती पैदा कर रहा है. डिजिटल अरेस्ट स्कैम के खिलाफ सचेत रहना और इसे पहचानना बेहद जरूरी है. 

कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट स्कैम?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक अज्ञात कॉल से शुरू होता है. अपराधी, कूरियर सेवा जैसे FedEx या DHL का प्रतिनिधि बनने का नाटक करते हैं, और पीड़ित को सूचित करते हैं कि उनके नाम पर कोई संदिग्ध पैकेज है जिसमें तस्करी या आपराधिक गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज हैं. इसके बाद कॉल को एक कथित पुलिस अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया जाता है, जो पीड़ित को तुरंत गिरफ्तार करने की धमकी देता है. घोटालेबाज तात्कालिकता का माहौल बनाकर पीड़ित को डराते हैं ताकि वे बगैर किसी पुष्टि के उनकी बात मानने के लिए मजबूर हो जाएं.

पीड़ित को डराते हैं

इस घोटाले में अपराधी पीड़ित से आधार नंबर, बैंक डिटेल्स, सोशल मीडिया पासवर्ड और अन्य संवेदनशील जानकारी मांगते हैं. कुछ मामलों में, अपराधी वीडियो कॉल भी करते हैं, जहां वे पुलिस वर्दी में होते हैं ताकि पीड़ित को और ज्यादा डराया जा सके. इस तरह की मनोवैज्ञानिक हेरफेर पीड़ित को मानसिक रूप से थका देती है, जिससे वे घबराहट में अपनी निजी जानकारी साझा कर देते हैं.

जानें कैसे बचें?

डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर स्कैम से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है:

  • किसी अज्ञात नंबर से आने वाली कॉल पर कभी भी संवेदनशील जानकारी साझा न करें. अगर किसी कॉल में पुलिस या कूरियर कंपनी का प्रतिनिधि बताया जाए, तो कॉल तुरंत काट दें और सीधे कंपनी के आधिकारिक नंबर पर संपर्क करें.
  • आधार नंबर, बैंक डिटेल्स या अन्य व्यक्तिगत जानकारी किसी भी अनजान व्यक्ति को फोन पर न दें. असली अधिकारी फोन पर कभी ऐसी जानकारी नहीं मांगेंगे.
  • अपने खातों की नियमित रूप से निगरानी करें और दो-कारक प्रमाणीकरण (two-factor authentication) को सक्रिय रखें ताकि किसी भी अनाधिकृत गतिविधि की जानकारी समय पर मिल सके.

आंकड़े और सावधानियां

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, साइबर अपराधों में तेजी से वृद्धि हो रही है. 2023 में वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की 11 लाख से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं. सरकार ने लोगों को इस तरह के घोटालों से बचने के लिए जागरूक किया है और कहा है कि सीबीआई, पुलिस या अन्य प्रवर्तन एजेंसियां वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी की धमकी नहीं देतीं.

रिपोर्ट करें और जागरूक रहें

अगर आपको इस तरह की कोई भी संदिग्ध कॉल आती है, तो इसे तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रिपोर्ट करें. गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर भी किसी भी साइबर अपराध की रिपोर्ट की जा सकती है. स्थानीय पुलिस स्टेशन से भी संपर्क करके मदद ली जा सकती है. सतर्कता और जागरूकता से ही हम डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अपराधों से खुद को और अपने प्रियजनों को बचा सकते हैं.

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25 October 2024, 05:04 PM IST

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