‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’... नेताजी सुभाष चंद्र बोस के इस नारे से प्रेरित होकर ना जाने कितने लोगों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इनमें से कई तो गुमनामी के अंधेरे में गुम भी हो गए, लेकिन जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ उन्हें देश सलाम करता है। शहादत में बहे लहू का वैसे तो कोई मोल नहीं चुकाया जा सकता, पर शहीदों की कुर्बानी की छाप कहीं जनमानस से न मिट जाए इसलिए कुछ लोग खुद अपने लहू से शहीदों की तस्वीरों में रंग भर रहे हैं।
जी हां, दरअसल नेताजी के नारे के तर्ज पर ही देश के अमर शहीदों को श्रद्धांजली देने के लिए दिल्ली की एक गैर सरकारी संस्था ‘शहीद स्मृति चेतना समिति अनुठा’प्रयास कर रही है। आने वाली पीढ़ी देश की स्वंत्रता के लिए शहीदों की बलिदान को समझ सके और उसका पूरा मान रख पाए इसलिए इस संस्था ने ये पहल की है। ये संस्था स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों की खास तस्वीरें बनता है, जिसमें इंसानी खून से रंग भरा जाता है।
सालों पहले एक शख्स ने शुरू की ये अनूठी पहल
दरअसल, इस संस्था की नींव और इस पहल की शुरूआत आज से सालों पहले दिल्ली के शख्स की थी। रवि चंद्र गुप्ता नाम के ये व्यक्ति कभी रोहिणी के सेक्टर-9 में कैप्टन संजीव दहिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल हुआ करते थे। अपने कार्यकाल के दौरान ही रवि चंद्र गुप्ता ने साल 1991 में नेताजी के उदघोष "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" से प्रेरित हो लोगों में देशप्रेम की भावना जागृत करने के लिए ये प्रयास किया। उन्होने उस वक्त सबसे पहलेअपने खून से नेताजी की एक तस्वीर तैयार की और फिर इस पहल को सामाजिक पहचान दिलाने के लिए साल 2000 में शहीद स्मृति चेतना समिति की स्थापना की।
इस संस्था का उद्देश्य था लोगों को अपने खून से क्रांतिकारियों और अमर शहीदों की तस्वीरें बनाने के लिए प्रेरित करना। असल में स्वर्गीय रवि चंद्र गुप्ता का मानना था कि इंसानी लहू से बने ये तस्वीरें लोगों का ध्यान खींचती है। बता दें कि साल 2017 रवि गुप्ता का निधन हो गया, पर उन्होने दुनिया को अलविदा कहने से पहले 100 तस्वीरों के लिए स्वयं रक्तदान किया। आज उनके बाद इस काम को अब उनके शिष्य डॉ प्रेम कुमार शुक्ला देख रहे हैं।
100 मिली खून से तैयार होती हैं 2 से 3 तस्वीरें
अब बात करें कि आखिर इंसानी खून का रंग के तौर पर इस्तेमाल कैसे किया जाता है, तो बता दें कि इसके लिए सबसे पहले ब्लड डोनर को स्थानीय डायग्नोस्टिक सेंटर में जाते हैं। जहां पर उनका खून लेकर उसमें एंटी-कोगुलेंट मिलाया जाता है, जिससे कि ये खून जम न पाए। फिर इसी ब्लड को 50 मिमी की बॉटल में भरकर उन कलाकार को दिया जाता है, जो ये तस्वीर बनाते हैं। बताया जाता है कि लगभग 100 मिली खून दो से तीन तस्वीरें तैयार हो जाती हैं।
मालूम हो कि अब तक शहीद स्मृति चेतना समिति ने इंसानी खून से तैयार शहीदों की ऐसी 250 से अधिक कलाकृतियां बनाई हैं, जिनकी देश के अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शनी लग चुकी हैं। First Updated : Tuesday, 03 January 2023