शिक्षा में संस्कार जरूरी

सुधि पाठको आज का दौर शिक्षा पर अधिक ध्यान देने का दौर है। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयासरत‌् हैं। देश में इस दिशा में नई शिक्षा नीति को भी लागू कर दिया गया है। आज अगर जरूरत है

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सुधि पाठको आज का दौर शिक्षा पर अधिक ध्यान देने का दौर है। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयासरत‌् हैं। देश में इस दिशा में नई शिक्षा नीति को भी लागू कर दिया गया है। आज अगर जरूरत है, तो शिक्षा के साथ संस्कारों की। प्रत्येक राज्य का अपना एक बोर्ड है। हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा का स्तर दिन ब दिन गिरता चला जा रहा है। सरकारी प्राथमिक शिक्षा केंद्रों का स्तर प्राइवेट शिक्षण संस्थानों से बहुत पीछे है। यही कारण है कि सभी राज्यों में निजि शिक्षण संस्थान पनप रहे हैं। एक जमाने में यूपी बोर्ड का स्टैंडर्ड बहुत ही कठिन रहता था दुनिया का सबसे कठिन बोर्ड माना जाता था। परंतु आज सभी स्टेट बोर्ड का हाल बहुत खस्ता है। नंबर लाने की होड़ में सभी शिक्षण संस्थान बहुत ही ज्यादा अंक अपने स्टूडेंट्स को बांट रहे हैं।

आजकल हर किसी के अंक 90 प्रतिशत से अधिक आ रहे हैं। इससे दो चीजें ज्ञात होती हैं या तो शिक्षा का स्तर और स्टूडेंट का स्तर दिन-ब-दिन बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है या फिर हमने शिक्षा के स्तर को नीचे गिरा दिया है जिससे हर किसी के अंक 90 प्रतिशत से ऊपर आ रहे हैं। बोर्ड कोई भी हो देश में बेटियां ही टॉप पर हैं। अंग्रेजी और हिंदी जैसे विषय में भी बच्चों को शत-प्रतिशत अंक मिल रहे हैं। यह बहुत ही हास्यास्पद प्रतीत होता है। हमारे देश को पश्चिमी देशों से सीख लेनी चाहिए और एक बेहतर शिक्षा प्रणाली स्थापित करनी चाहिए जिसमें सिर्फ एक पूर्ण हो और सभी को समान स्तर की शिक्षा प्राप्त हो तभी असली टैलेंट बाहर निकल कर आएगा और देश पुन: शिक्षा के क्षेत्र में अग्रसर हो पाएगा।

शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है। राष्ट्रीय शैक्षिक नीति (एनईपी) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) शुरू करके स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधार का मार्ग प्रशस्त किया। एमएचआरडी का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय भी कर दिया गया। 1986 में शुरू की गई पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद 21वीं सदी की यह पहली शिक्षा नीति है जिसने 34 साल पुरानी शिक्षा नीति का स्थान लिया है। एनईपी 2020 एक भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना करता है जो सीधे हमारे राष्ट्र के विकास में योगदान देता है और उन्हें शिक्षा की उच्च श्रेणी की गुणवत्ता प्रदान करके एक समान और जीवंत ज्ञान समाज में स्थायी बनाता है। इस एनईपी के जरिए हमारे देश की शिक्षा प्रणाली और शोध सुविधा और मजबूत होगी और इसकी मदद से विदेशों में शिक्षा पर हजारों डॉलर खर्च करने वाले छात्रों को भारत के अनुरूप वैश्विक मानक मिलेंगे।

अब तक जो आधुनिक शिक्षा प्रणाली रही उसमें नैतिक मूल्यों का पतन पूर्ण रूप से दिखाई देता रहा है। यह शिक्षा प्रणाली बच्चों को आधुनिक जीवन की तरफ धकेलती रही है परंतु हमारा देश हमेशा से आध्यात्मिक शिक्षा प्रणाली से ओतप्रोत रहा है। हमारे समाज में माता-पिता ही नहीं अपितु शिक्षकों को भी बच्चों में किताबी ज्ञान के साथ ही सांस्कारिक शिक्षा पर ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है। बिना संस्कार के मानव जीवन ही अधूरा है। समय की आवश्यकता है कि हम उस विलुप्त हो चुकी वैदिक शिक्षा प्रणाली को पुनः स्थापित करें। भारत की कमजोर होती शिक्षा व्यवस्था को पुनः सही पथ पर लाना समाज की एक परम जिम्मेदारी है इसमें हर एक व्यक्ति विशेष को अपना संपूर्ण योगदान देना चाहिए। आशा  ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस लेख से आप सहमत होंगे और शिक्षा की गुणवत्ता के निखार में अपने सुझाव देते रहेंगे। First Updated : Thursday, 20 April 2023