अधिकारों की लड़ाई में दिल्ली सरकार विजयी

सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले में अधिकारों की लड़ाई में दिल्ली सरकार को विजय मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली सरकार जनता द्वारा चुनी हुई सरकार है।

हाइलाइट

  • अधिकारों की लड़ाई में दिल्ली सरकार विजयी

आशुतोष मिश्र

सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले में अधिकारों की लड़ाई में दिल्ली सरकार को विजय मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली सरकार जनता द्वारा चुनी हुई सरकार है। इसलिए उसे अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए केंद्र सरकार से राय लेनी जरूरी नहीं होगी। दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से काम करेंगे।

5 जजों की संविधान पीठ में यह मामला पिछले दिनों से चल रहा था। इस मामले में सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला दिया। दिल्ली सरकार ने अधिकारों की लड़ाई के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका मुख्य रूप से 2 वजहों  से डाली थी। पहले मामले में विवाद उस समय शुरू हुआ जब केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार यानी जीएनसीटीडी 1991 अधिनियम में बदलाव कर दिया। यह बदलाव केंद्र सरकार ने 2021 में किया था। बदलाव के बाद यह स्पष्ट करने की कोशिश की गई कि विधानसभा के बनाये किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा। सरकार को किसी फैसले से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी होगी। दूसरा मामला अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर रहा। अभी तक दिल्ली में संयुक्त सचिव और उसके ऊपर रैंक के अफसरो के स्थानांतरण और पोस्टिंग के मुद्दे पर सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव बना हुआ था। दिल्ली सरकार इस मामले में किसी प्रकार का दखल उपराज्यपाल से नहीं चाहती थी।

इन्हीं दोनों मामलों को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिका की सुनवाई पांच जजों की सविधान बेंच ने किया। जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सहित जस्टिस एम आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस पी एस नरसिम्हा शामिल थे। इस बेंच ने 18 जनवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया था। अपने फैसले में संविधान पीठ ने यह स्पष्ट किया कि पुलिस कानून व्यवस्था और प्रॉपर्टी को छोड़कर दिल्ली में प्रशासन पर पूरी तरह नियंत्रण दिल्ली सरकार का होगा। चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग का पूरा अधिकार होगा। दिल्ली सरकार के मंत्रियों को अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार का राज्य के मामले में इतना दखल ना हो जाए कि राज्यों का नियंत्रण केंद्र सरकार के पास चला जाए। दिल्ली ऐसा राज्य है जिसकी स्थिति अन्य केंद्र शासित प्रदेशों जैसी नहीं है। दिल्ली भले ही पूर्ण राज्य न हो लेकिन उसके पास अपने कानून बनाने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग दिल्ली सरकार अपने हिसाब से तय करेगी।

सरकार को हर फैसले के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। यही नहीं उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी पड़ेगी। जिन मुद्दों पर दिल्ली के पास अधिकार मिला है वह विधानसभा में राज्य के लिए कानून बनाने की अधिकारी भी होगी। इस फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आई है। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि यह आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की जीत है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली राज्य भी अब अपने तरीके से सरकार चलाएगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद केंद्र सरकार की प्रदेश सरकार के कामकाज में जबरन दखल बंद होगी। इस फैसले से प्रदेश का काफी विकास होगा इससे दिल्ली की जनता को काफी लाभ होगा। इधर आप नेता राघव चड्ढा ने इस फैसले पर ट्वीट कर लिखा, "सत्यमेव जयते, दिल्ली की जीत। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से एक कड़ा संदेश जाता है कि दिल्ली सरकार के साथ काम करने वाले अधिकारी निर्वाचित सरकार के माध्यम से दिल्ली के लोगों की सेवा करने के लिए हैं।"

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11 May 2023, 05:24 PM IST

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