पहलवानों के समर्थन में किसानों के आने का मतलब...
जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में अचानक किसान संगठन आ गया। किसानो ने पुलिस द्वारा लगाई बेरिकेडिंग तोड़ दी।
हाइलाइट
- पहलवानों के समर्थन में किसानों के आने का मतलब...
आशुतोष मिश्र
जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में अचानक किसान संगठन आ गया। किसानो ने पुलिस द्वारा लगाई बेरिकेडिंग तोड़ दी। सोमवार को इस तरह की खबरें मीडिया में चली कि आने वाले दिनों में धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में किसानों की खाप भी पहुंचेगी। इसका सीधा मतलब यह है कि इस आंदोलन में खिलाड़ियों के साथ किसान भी सीधे तौर पर कूद पड़े हैं। हालांकि किसानों का खेल और खिलाड़ियों से कोई सीधा संबंध नहीं है बावजूद इसके किसान पहलवानों के समर्थन में पूरी तरह उतर आए हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले 15 दिनों से जंतर मंतर पर महिला पहलवान के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान धरना दे रहे हैं। धरना दे रहे पहलवानों की मांग है कि डब्ल्यूऍफ़आई के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। हालांकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहलवानों की ओर से उठाया गया। 3 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण के खिलाफ संबंधित धाराओं में FIR दर्ज करने की मांग की थी दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। पहलवानों की मांग मान ली है ऐसे में किसी भी अन्य तरह की मांग के लिए पहलवानों को निचली अदालत जैसे हाईकोर्ट या जिला स्तरीय कोर्ट की शरण लेनी चाहिए। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। याचिका पर कोर्ट ने आदेश पारित कर दिया था। इसके बाद महिला पहलवानों ने माननीय न्यायालय के समक्ष बृजभूषण शरण सिंह के गिरफ्तार करने की मांग रख दी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी दी थी।
इधर ताजा घटनाक्रम में पहलवानों के समर्थन में किसानों का जत्था जंतर मंतर पहुंचा और उन्होंने वहां पर दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग को तोड़ दिया। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अपने 2000 जवान तैनात कर रखे हैं ताकि कोई भी अप्रिय घटना होने ना पाए। वहां पर 24 घंटे दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं। इधर किसानों के आ जाने से धरने में एक अलग राजनीतिक मोड़ ले लिया है। किसानों के समर्थन के बाद आम लोगों में यह बात चर्चा में आ गई है कि अब इस मुद्दे को पहलवान राजनीतिकरण करने में लगे हुए हैं। हालांकि पहलवानों ने पहले यह स्पष्ट किया था कि वह अपने धरने में किसी भी राजनीतिक दल के लोगों को शामिल नहीं करेंगे। लेकिन धीरे-धीरे राजनीतिक दल से लेकर किसान संगठन तक उन्हें समर्थन देकर धरने स्थल पर भी अपनी भागीदारी दे रहे हैं।
ऐसे में आने वाले दिनों में जंतर मंतर पर धरने के रूप में हजारों की संख्या में किसान एकत्र हो सकते हैं। इसलिए केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालांकि दिल्ली पुलिस के अधिकारी इस बात को लगातार स्पष्ट करते आ रहे हैं कि उन्होंने बृजभूषण शरण के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और उचित कार्रवाई के लिए उन्होंने जांच की दिशा आगे बढ़ा दी है। अगर जांच में कोई दोषी पाया गया तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा।
बावज़ूद इसके पहलवानों का संगठन इस बात पर अड़ा हुआ है कि वह पहले बृजभूषण को गिरफ्तार करें। उसके बाद कोई बात होगी। हालांकि लोकतंत्र में अपनी बात रखने का सबको हक है और उचित तरीके से विरोध करने का अधिकार भी सबके पास सुरक्षित है। लेकिन कोई भी विरोध जब राजनीतिक रूप लेने लगता है तो उसकी गरिमा पर असर पड़ता है। पहलवानों को इस धरने में सिर्फ खेल और खिलाड़ियों का समर्थन लेना चाहिए जो उनकी संवेदना को अच्छी प्रकार से समझते हैं। बाकी लोगों के धरने में कूदने से तमाशा बनेगा।