नई शिक्षा प्रणाली की शुरुआत, बिना मेरिट के परिणाम जारी

शुक्रवार को सीबीएसई बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। परीक्षा परिणाम देखने के बाद यह संकेत मिले हैं कि नई शिक्षा प्रणाली की शुरुआत हो चुकी है।

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आशुतोष मिश्र

शुक्रवार को सीबीएसई बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। परीक्षा परिणाम देखने के बाद यह संकेत मिले हैं कि नई शिक्षा प्रणाली की शुरुआत हो चुकी है। परीक्षा परिणाम की खास बात यह रही कि इसमें मार्कशीट में बच्चों को प्रथम द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी में बांटकर पास होना नहीं दिखाया गया, बल्कि सभी बच्चों के लिए एक ही फार्मूला लगाया गया जिसमें उन्हें पास कर अगली कक्षा में प्रवेश के लिए पात्र मान लिया गया। दूसरी ओर परीक्षा की कोई मेरिट लिस्ट भी जारी नहीं की गई ताकि छात्रों के अंदर अनावश्यक प्रतिस्पर्धा पैदा ना हो।

परीक्षा परिणाम से साफ लगता है कि आने वाले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई नई शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से लागू हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के शिक्षा विभाग ने 2020 में नई शिक्षा प्रणाली की सिफारिशें लागू की। इसके तहत शिक्षा व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन का संकेत दिया गया था। नई शिक्षा व्यवस्था का मूल उद्देश्य यह रहा कि बच्चों में शुरुआती कक्षा में प्रतिस्पर्धा की बजाय उसमें स्किल विकसित किया जाए। ताकि बड़े होकर वह रोजगार सृजन कर सके। इसके लिए नई शिक्षा व्यवस्था में शुरुआत की कक्षाओं से ही बच्चों के रूचि पर ध्यान देने की बात कही गई। यही कारण है कि आठवीं तक बच्चों को सिर्फ पास होने के लिए परीक्षा देनी पड़ेगी। यहां पर फर्स्ट सेकंड थर्ड जैसे ग्रेड न देने की परम्परा लाकर बच्चों के सिर से बोझ हटाने का काम किया गया।

मंगलवार को सीबीएसई बोर्ड द्वारा 10वीं एवं 12वीं दोनों की परीक्षा परिणाम जारी किया गया। दसवीं की परीक्षा में पूरे देश में 93.12 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए। वही 12वीं की परीक्षा में पूरे देश में कुल 87.33 प्रतिशत बच्चे पास हुए। मजे की बात यह रही कि पूरे परीक्षा परिणाम में कोई मेरिट लिस्ट जारी नहीं हुआ। इसकी वजह से परिणाम आने के बाद यह हाय तोबा नहीं मचा रही कि कौन कितने प्रतिशत पाया। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में दसवी और बारहवीं की परीक्षा में कई विद्यार्थियों ने सतप्रतिशत अंक प्राप्त किया था। इसकी वजह से अन्य छात्रों में हीन भावना  उत्पन्न होने लगी थी।

सरकार की यह इच्छा है कि बच्चों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा तो लागू किया जाए लेकिन उनमें हीन भावना नहीं पैदा होना चाहिए। सरकार की मंशा मां बाप को भी नंबर पाने की अंधी दौड़ में बच्चे को शामिल होने से बचाने का है। यही वजह है कि इस बार परीक्षा परिणाम के बाद न सिर्फ मेरिट लिस्ट जारी की गई, बल्कि बच्चों के लिए जारी की गई मार्कशीट में सिर्फ पास होने का जिक्र किया गया। मार्कशीट पर फर्स्ट सेकंड एवं थर्ड जैसे डिवीजन नहीं अंकित किए गए। परीक्षा परिणाम के आने के बाद यह साफ हो गया कि सरकार चाहती है कि बच्चों में हीन भावना कम हो और मां बाप भी बच्चों की भावनाएं समझे। आने वाले दिनों में नई शिक्षा व्यवस्था पूरे देश में लागू हो जाएगी। शिक्षा व्यवस्था में बच्चों को स्किल आधारित शिक्षा दी जाएगी, न कि नंबर  पाने की होड़ में उन्हें दौड़ाया जाएगा। केंद्र सरकार की नई शिक्षा प्रणाली में अगले कुछ वर्षों में 10वीं की बोर्ड की परीक्षा समाप्त की जाएगी। केंद्रीय स्तर पर 10+2 की जगह 10+3 शिक्षा व्यवस्था लागू की जाएगी। इस व्यवस्था में बच्चों को पहली बार 12वीं में ही बोर्ड की परीक्षा का सामना करना पड़ेगा। इसलिए उन्हें समय से पहले ही अनावश्यक तनाव से बचने में मदद मिलेगी। दूसरी ओर वह अपना मनपसंद विषय और व्यवसाय चुन सकेंगे। इससे बेहतर समाज के साथ देश की भविष्य की दशा काफी अच्छी होने की उम्मीद है। First Updated : Friday, 12 May 2023