भाजपा के लिए कर्नाटक की राह आसान नहीं

चुनाव आयोग ने कर्नाटका में 10 मई को चुनाव की तारीख लगभग एक महीने पहले ही घोषित कर दी थी. इसे लेकर सभी प्रमुख दल अपनी तैयारी में लगे हुए है. प्रत्याशियों के चयन में सबसे अधिक तेजी कांग्रेस ने दिखाई और पार्टी ने 3 चरणों में लगभग सभी विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए

Sagar Dwivedi
Edited By: Sagar Dwivedi

आशुतोष मिश्र

चुनाव आयोग ने कर्नाटका में 10 मई को चुनाव की तारीख लगभग एक महीने पहले ही घोषित कर दी थी. इसे लेकर सभी प्रमुख दल अपनी तैयारी में लगे हुए है. प्रत्याशियों के चयन में सबसे अधिक तेजी कांग्रेस ने दिखाई और पार्टी ने 3 चरणों में लगभग सभी विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए. प्रत्याशियों के चयन में कांग्रेस में इस बार गुणा गणित के साथ दूसरे दलों से आने वाले लोगों को टिकट देने में भी कोई कंजूसी नहीं दिखाई. इनमें सबसे अधिक भाजपा के बागी नेताओं को कांग्रेस ने टिकट देने में काफी दिलचस्पी दिखाई. कांग्रेस की उम्मीदवारों की लिस्ट में भाजपा के आधा दर्जन से अधिक नेता शामिल है. इनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री सहित कई बड़े नेता शामिल है।

यह चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. इसकी वजह यह है कि पिछले चुनाव में पूरा बहुमत न मिलने के बावजूद पार्टी ने जोड़ तोड़  लगाकर अपनी सरकार सरकार बनाई. भाजपा ने सरकार बनाने के बाद उसे चलाया भी. भारतीय जनता पार्टी ने टिकट वितरण में थोड़ा विलंब कर दिया. पार्टी दे 3 सूचियों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की. अभी कुछ पेंच वाली शीटें बची हुई है. लेकिन इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और कई मंत्री उप मुख्यमंत्री के नाम शामिल नहीं थे. पार्टी को इस बात का अंदेशा था कि ऐसे लोग या तो पार्टी छोड़ेंगे या बगावत कर दूसरी पार्टियों की ओर रुख करेंगे. भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 19 विधायकों के टिकट काटे हैं।

इस लिहाज से पार्टी में विद्रोह होना स्वाभाविक था. पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने तो शनिवार को बयान देकर यहां तक कह दिया कि अगर पार्टी उन्हें टिकट नहीं देती है तो कम से कम 25 सीटों पर उसे नुकसान झेलना पड़ेगा. फिलहाल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई वरिष्ठ नेता डैमेज कंट्रोल पर लगे हुए हैं. लेकिन अभी तक इस मामले में उन्हें सफलता नहीं मिली है. सभी सीटों पर घोषणा होने के बाद यह माना जा रहा है कि भाजपा के  कम से कम एक दर्जन नेता दूसरी पार्टी से चुनाव लड़कर  पार्टी को  नुकसान पहुंचा सकते है . भाजपा को चुनाव के बाद सरकार बनाने वाली स्थिति में हो सकता है।

खैर चाहे जो स्तिथि हो लेकिन कर्नाटक का चुनाव इस बार बीजेपी के लिए कड़ा मुकाबला लेकर आने वाला है. इसकी कई वजह हैं. इनमें एक वजह शरद पवार का वह निर्णय भी शामिल है जिसमें उन्होंने कर्नाटक के 45 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. अगर शरद पवार की एनसीपी भी कर्नाटक चुनावी मैदान में उतरती है तो इसका नुकसान फायदा  दोनों भाजपा को हो सकता है. लेकिन यह मतदान के बाद ही सुनिश्चित होगा कि शरद पवार के इस निर्णय से भारतीय जनता पार्टी को फायदा हुआ या नुकसान हुआ है।

फिलहाल कर्नाटक में 10 मई को चुनाव है और 13 मई को मतगणना के बाद परिणाम आएंगे. कर्नाटका में वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला कांग्रेस और जनता दल यस से है. तीनों पार्टियों के चुनाव में मजबूती से लड़ने के आसार दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को अपने सभी उम्मीदवारों को जिताने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. इसमें सबसे बड़ा फैक्टर भाजपा के बागी उम्मीदवार होंगे. अगर पार्टी उन्हें मनाने या मैनेज करने में कामयाब होती है तो पार्टी को सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता है।

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15 April 2023, 06:40 PM IST

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