22 जनवरी को गर्भ गृह में प्रतिष्ठित हो जायेंगे रामलला

करोड़ों भक्तो की आस्था के केंद्र रामलला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन चुना गया है। इसके लिए काशी के विद्वान पंडितो से मुहूर्त की तारीख मांगी गई थी। सभी तरह से संतुष्ट होने के बाद मंदिर ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है।

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आशुतोष मिश्र

करोड़ों भक्तो की आस्था के केंद्र रामलला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन चुना गया है। इसके लिए काशी के विद्वान पंडितो से मुहूर्त की तारीख मांगी गई थी। सभी तरह से संतुष्ट होने के बाद मंदिर ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है। राम जन्मभूमि में निर्माणाधीन राम मंदिर के भूतल का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की भी तैयारी शुरू हो गई है। काशी के विद्वानों से प्राण प्रतिष्ठा की तीन शुभ तिथि मांगी थीं। विद्वानों द्वारा 22 जनवरी की तिथि को शुभ बताया गया है।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की योजना के अनुसार 22 जनवरी 2024 तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा गर्भगृह में कर दी जाए। अभी तक इस कार्य में कोई रुकावट नहीं दिखाई दे रही है। मुहूर्त के लिए मंदिर प्रशासन काफी दिन से कोशिशों में लगा हुआ था। प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त के लिए ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने काशी के दिग्गज विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ से तीन मुहूर्त मांगे थे। हालाँकि मंदिर प्रशासन ने इसका खुलासा नहीं किया था। लेकिन संभावना है कि 15 जनवरी से 25 जनवरी 2024 के भीतर यह मुहूर्त निकालने को कहा गया था। उन्होंने फरवरी में भी एक मुहूर्त निकालकर ट्रस्ट को बताया। लेकिन उस मुहूर्त पर बात नहीं बनी। गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने 22 जनवरी 2024 का जो मुहूर्त निकाला उस पर बात बन गई। भगवान राम मंदिर के शिलान्यास के लिए भी मुहूर्त इसी विद्वान से दिखवाया गया था।

इस मुहूर्त के समय ही पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान रामलला के मंदिर की आधारशिला रखी थी। हालांकि नए तारीख का ऐलान आधिकारिक रूप से नहीं किया गया है। ट्रस्टियों का कहना है कि देश भर के विद्वानों से राय ली जा रही है, सभी की सहमति से प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त तय किया जाएगा। खैर बात जो भी हो करोड़ों लोगो कि आस्था का केंद्र राम लला का मंदिर बनने को तैयार है। अंतिम दौर में चल रहे मंदिर परिसर के निर्माण को लेकर रामभक्त खुश है. सैकड़ो साल से चल रहे राम भक्तों का संघर्ष रंग लेन जा जहा है।

हालाँकि मंदिर निर्माण को लेकर हिंन्दू भक्तों ने हज़ारो कुर्बानिया दी है। कहा जाता है कि बाबर के ज़माने में यहाँ मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। पहले इस स्थल पर नमाज़ अदा कि जाती थी। लेकिन जैसे जैसे यहाँ पर राम भक्तों कि आस्था बढ़ी संघर्ष बढ़ गया। बढ़ते विवाद के कारण जन्मभूमि पर पहले ताला लगाया गया उसके बाद कई सालो तक यहाँ ताला लगा रहा। नमाज़ के साथ यहाँ पूजा भी बंद कर दी गई थी। इसकी वजह से हिन्दू भक्तों की आस्था पर चोट लगी। लेकिन हिन्दुओं ने हर नहीं मानी। पहले यह विवाद धार्मिक रूप से सुलझाने का प्रयास किया गया लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। यह मामला कोर्ट पहुंचा। अंत में सुप्रीम कोर्ट में ने अपने फैसले में एक सम्मान जनक समाधान दिया। इस फैसले को हिन्दू मुस्लिम दोनों पक्षों को मानना पड़ा। मामला कोर्ट में आने से पहले दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति बनाई थी कि कोर्ट के फैसले को हर हाल में माना जायेगा। इसी का परिणाम रहा कि राम मंदिर का फैसला आने के बाद किसी पक्ष ने विरोध नहीं किया। आने वाले साल में रामभक्तो को अपने इष्ट के दर्शन हो जायेंगे। First Updated : Saturday, 29 April 2023