न्यायिक आयोग की जांच के बाद होगी तस्वीर साफ
शनिवार देर रात माफिया अतीक अहमद एवं उसके भाई अशरफ पुलिस अभिरक्षा में हुई हत्या की घटना 2 दिनों से मीडिया में सुर्खियों में बनी हुई है।
आशुतोष मिश्र
शनिवार देर रात माफिया अतीक अहमद एवं उसके भाई अशरफ पुलिस अभिरक्षा में हुई हत्या की घटना 2 दिनों से मीडिया में सुर्खियों में बनी हुई है। अतीक और उसके भाई अशरफ की अचानक हुई इस हत्या से मीडिया के साथ राजनीतिक गलियारों में भी लगातार चर्चा बनी हुई है। अचानक हुई इस घटना को समझने के लिए थोड़ा बैकग्राउंड में जाना पड़ेगा। करीब 40 वर्ष पूर्व प्रयागराज के एक मोहल्ले चकिया से अतीक अहमद ने जुर्म की दुनिया में कदम रखा। तब से लेकर अब तक उसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज है। ताजा मामले में बीते 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई आरोप है कि यह हत्या अतीक के गुर्गों ने की थी। यह मामला काफी हाईलाइट हुआ।
उसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने अतीक के गैंग में शामिल गुर्गो को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर दबिश दी और छापेमारी की। इस मामले में उसके भाई अशरफ को भी आरोपी बनाया गया था। इस बीच अतीक अहमद को उमेश पाल के अपहरण और मारपीट के एक मामले में आजीवन की कारावास की सजा हुई। इसके बाद उसे साबरमती जेल में शिफ्ट कर दिया गया। उमेश पाल की हत्या के मामले में 4 दिन पहले उसे साबरमती जेल से सुनवाई के लिए प्रयागराज की अदालत में लाया गया। लेकिन इसी दिन बीते गुरुवार को उमेश पाल की हत्या में शामिल अतीक के बेटे असद और उसके एक और साथी गुलाम की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई। यह मामला काफी हाईलाइट हुआ।
अदालत से पुलिस को अतीक और उसके भाई अशरफ से पूछताछ के लिए पुलिस को 4 दिन की पुलिस रिमांड मिल गई। इसी सिलसिले में शनिवार को अतीक और उसके भाई अशरफ को पुलिस मेडिकल जांच के लिए पुलिस प्रयागराज के अस्पताल लाई थी। अस्पताल में जांच के लिए उतरने के बाद ही 3 बदमाशों ने अतीक और उसके भाई की गोली मारकर हत्या कर दी। अचानक हुई इस घटना से उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ शासन प्रशासन के अधिकारियों को सकते में ला दिया। स्वयं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस मामले में फौरन न्यायिक आयोग का गठन कर इसकी जांच कराने की आदेश दे दिया। इसके तुरंत बाद प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ अधिकारियों को प्रयागराज भेजा गया। सतर्कता के तौर पर प्रयागराज के अलावा प्रदेश के सभी जिलों में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया. सभी स्थानों पर पुलिस के आला अधिकारियों को गश्त करने के आदेश जारी किए गए थे।
इस घटना के बाद सियासी हलकों में चर्चा का बाजार गर्म रहा। तमाम विपक्षी नेताओं ने पुलिस अभिरक्षा में हुई इस हत्या पर तमाम सवाल उठाये। लेकिन इस बीच पुलिस और शासन अपना काम करता रहा। हत्या के 2 दिन बीत जाने के बाद न्यायिक आयोग की जांच के साथ इस मामले में दो एसआईटी का गठन भी किया गया। यह टीम इस हत्या के से जुड़े सभी पहलुओं पर जांच करेगी। हत्या में शामिल तीन शूटरों को मौके से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उनसे पूछताछ चल रही है। पुलिस का कहना है कि यह मामला काफी संवेदनशील है और इसमें हत्या से जुड़े सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। अभी किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। उसकी एक वजह यह भी है कि हत्या में शामिल तीनों बदमाश अलग-अलग जनपदों के हैं फिलहाल पुलिस इस मामले में तीनों अपराधियों से सघन पूछताछ कर रही है। प्रदेश शासन इस मामले में कोई भी बयान देने से पहले काफी सावधानी बरत रहा है। स्वयं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ इस मामले में संज्ञान लेकर जांच की हर दिशा की प्रगति पर अपनी निगाह बनाए हुए हैं। इस मामले में समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी और अन्य तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने अपने बयान देकर अपने राजनीतिक हित साध लिए है। लेकिन हत्या की असली वजह का पता तो न्यायिक आयोग की जांच के बाद ही पता लगेगा। न्यायिक आयोग की जांच पर लोगों को संदेह नहीं होना चाहिए क्योंकि इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी शामिल होते हैं और वह घटना में शामिल प्रत्येक बिंदु पर जनता से अध्ययन कर किसी नतीजे पर पहुंचते हैं। शासन ने पहले ही यह कह दिया है कि इस घटना में दोषी किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। शासन ने लोगों से अपील की है कि इस मामले में इसी अफवाहों पर ध्यान देने की बजाय पुलिस प्रशासन का सहयोग करने में लोग मदद करें। शासन का यह भी मानना है कि मामला संवेदनशीलता होने के कारण इस मामले में थोड़ी सी लापरवाही भी काफी मुश्किल में डाल सकती है। इसलिए पुलिस के आला अधिकारियों को यह आदेश है कि वह स्थिति पर नियंत्रण के लिए सड़क पर लगातार गश्त करें इससे असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।