आगामी लोकसभा चुनाव है कांग्रेस का टारगेट
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव में उम्दा प्रदर्शन के बाद पार्टी आलाकमान को एक उम्मीद जगी है। पार्टी का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी करना जरूरी है।
आशुतोष मिश्र
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव में उम्दा प्रदर्शन के बाद पार्टी आलाकमान को एक उम्मीद जगी है। पार्टी का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी करना जरूरी है। इसी को केंद्र बिंदु बनाकर कांग्रेस कर्नाटक में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनाना चाहती है। हालांकि कर्नाटक में सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के भी मुख्यमंत्री पद को लेकर बीच पेंच फंसा हुआ है। बावजूद इसके पार्टी कोई ऐसा फार्मूला लेकर आना चाहती है, जिससे पार्टी के सभी विधायक संतुष्ट हो और आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए जातीय समीकरण भी दुरुस्त रहे।
उल्लेखनीय है कि 13 मई को कर्नाटक विधानसभा से चुनाव परिणाम घोषित किए गए। इसमें कांग्रेस को 135 सीटें मिली जो बहुमत की संख्या 113 से काफी अधिक है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी 66 सीटों पर सिमट गई। उसे करीब 50 सीटों का नुकसान हुआ। कांग्रेस अपने इस प्रदर्शन से काफी गदगद है। यही कारण है कि रविवार को नए मुख्यमंत्री चुनने के लिए बेंगलुरु में पार्टी ने सभी नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई। इस बैठक में दिल्ली से तीन पर्यवेक्षक भी भेजे गए, जिन्होंने अलग-अलग विधायकों से बात कर उनकी राय जानी. पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री की दौड़ में सिद्धारमैया का पलड़ा थोड़ा भारी है। इसकी वजह यह है कि उनके साथ विधायकों का बहुमत अधिक है। जबकि डीके शिवकुमार के पाले में कुछ कम विधायक दिखे।
पार्टी आलाकमान और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए नए नेता का चुनाव करना चाहते है। कर्नाटक में जाति एवं क्षेत्रीय समीकरण कुछ ऐसे हैं कि इनमें किसी समुदाय की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इसमें लिंगायत समुदाय और वोकालिंगा समुदाय प्रमुख रूप से शामिल है। डीके शिवकुमार वोकालिंगा समुदाय से आते हैं। इसलिए उनको भी इग्नोर नहीं किया जा सकता है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी एक मुख्यमंत्री और दो से अधिक उपमख्यमंत्री बनाना चाहती है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि वह किसी भी जाति या समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती है। इसलिए पार्टी ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों को दिल्ली बुलाया है ताकि उनकी भी राय जानी जा सके।
पार्टी का स्पष्ट मानना है कि कर्नाटक में जीत सभी नेताओं के आपसी सहयोग से प्राप्त हुई है। इसमें आम कांग्रेसी कार्यकर्ता का बड़ा योगदान है। यही वजह है कि पार्टी ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती है जिसकी वजह से उसे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में किसी भी तरह का नुकसान उठाना पड़े। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिद्धरमैया पिछड़ी जाति के नेता है और उनका इन जातियों पर खासा असर है। इसलिए उन्हें इग्नोर नहीं किया जा सकता वहीं डीके शिवकुमार अपनी प्रबंधन क्षमता को लेकर काफी लोकप्रिय हैं। उनकी प्रबंधन क्षमता के कारण पार्टी ने प्रदेश में काफी अच्छा प्रदर्शन किया और कांग्रेस को जिताने में उनकी बड़ी भूमिका रही। हालांकि एक-दो दिनों में यह साफ हो जाएगा कि कर्नाटक की कमान किसे दी जाएगी लेकिन फिलहाल पार्टी आलाकमान अपनी सभी विधायकों के मत का पूरा सम्मान करना चाहती है। किसी भी विद्रोह और असहमति से बचने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता फूंक-फूंक कर कदम भी उठा रहे है।
कर्नाटक में जीत का मूल मंत्र कांग्रेस पार्टी से लेकर निकला। पार्टी ने अल्पसंख्यकों को दोबारा से रिजर्वेशन देने का वायदा किया। जबकि गरीबों को भी फ्री सिलेंडर से लेकर कई प्रकार के पेंशन देने की घोषणा की। प्रियंका गांधी ने भी अपने चुनाव प्रचार अभियान में महिलाओं को विशेष सुविधा देने की बात कही थी। इसमें महिलाओं को फ्री बस यात्रा की भी बात की गई थी। यही कारण है कि चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद राहुल गांधी ने ऐलान किया कि वह पहले ही कैबिनेट बैठक में अपने किए हुए वादे पूरे करेंगे।