सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच जुबानी जंग तेज

पूर्व कांग्रेसी एवं केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं मध्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. वैसे तो दोनों नेताओं के बीच आपसी तकरार की कहानियां कई है

Sagar Dwivedi
Edited By: Sagar Dwivedi

आशुतोष मिश्र

पूर्व कांग्रेसी एवं केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं मध्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. वैसे तो दोनों नेताओं के बीच आपसी तकरार की कहानियां कई है. लेकिन ताजा तकरार काफी रोचक है. शुक्रवार को एक ट्वीट कर दोनों नेताओं ने एक दूसरे पर कटाक्ष करते हुए आरोप-प्रत्यारोप लगाए. आरोप की शुरुआत दिग्विजय सिंह ने की. वह उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने गए थे. महाकाल के दर्शन के बाद उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि हे प्रभु महाकाल ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता कांग्रेस में पैदा ना हो. इसके तुरंत बाद ही सिंधिया ने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि महाकाल दिग्विजय सिंह जैसे देश विरोधी नेता मध्य प्रदेश में पैदा ना हो. दोनों के बीच जुबानी जंग की चर्चा राजनीतिक गलियारों में दिनभर चलती रही।

दोनों नेताओ के बीच आरोप-प्रत्यारोप काफी दिनों से चल रहा है. बावजूद इसके आज हुई ट्विटर पर जंग में  लोगों ने साफ तौर पर देखा कि दोनों के बीच काफी कटुता आ गई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच  विरोधाभास उस समय ही शुरू हो गया था जब 2018 के प्रदेश चुनाव में कांग्रेस चुनकर आई. उस दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा काफी जोर पर थी. लेकिन ऐन वक्त पर कमलनाथ बाजी मार ले गए. कहा जाता है कि इसके  पीछे प्रमुख भूमिका मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की रही. दिग्विजय सिंह ने कूटनीति का परिचय देखते हुए कांग्रेस हाईकमान के सामने कमलनाथ का प्रस्ताव रखा. उसे पास करा कर ले आए।

इसकी वजह से मध्य प्रदेश का ताज कमलनाथ के सिर पर बंधा. डैमेज कंट्रोल करने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने सिंधिया गुट के कई लोगों को कैबिनेट में मंत्री बनाया. लेकिन सिंधिया संतुष्ट नहीं हुए. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की केवल 18 महीने सरकार चली. इसी दौरान कांग्रेश के 25 से अधिक विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा. प्रदेश में दोबारा उपचुनाव हुए और भाजपा में शामिल विधायक दोबारा चुनकर आए. वहां पर भाजपा की वापसी हुई भाजपा के नेता शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।

वहां पर करीब ढाई वर्षो से शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है. दिसंबर 2023 में वहां विधानसभा चुनाव होना है। विधानसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच शह और मात का खेल शुरू हो गया है. इसकी अगुवाई कांग्रेस की ओर से दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और भारतीय जनता पार्टी की ओर से  सिंधिया कर रहे हैं. आम जनता को यह पता है कि हर चुनाव से पहले नेताओं द्वारा पहले माहौल बनाया जाता है. उसके बाद अपने पक्ष में वोट देने की अपील की जाती है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार भारतीय जनता पार्टी के सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. पार्टी सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि इस बार पार्टी किसी नए चेहरों को वहां मुख्यमंत्री बनाएगी. दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से सिंधिया पर प्रहार करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है. वहां पर जनता के बीच यह छवि बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जनता के वोट का अपमान किया है. इसलिए उन पर भरोसा करना ठीक नहीं है. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी विकास और सुशासन को लेकर चुनावी मैदान में उतरने जा रही है. पार्टी को उम्मीद है कि वह इस बार भी प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब होगी।
 

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21 April 2023, 06:55 PM IST

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