लंबी उम्र किसे नहीं पसंद होता है. हर कोई चाहता है कि वह लंबे समय तक जिंदा रहें. ऐसे लोगों के लिए एक खुशखबरी है. दरअसल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) के जराचिकित्सा विभाग ने लंबी उम्र के रहस्यों को उजागर करने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है. अध्ययन का उद्देश्य एक ही परिवार में कई पीढ़ियों में उम्र बढ़ने के लिए जिम्मेदार उम्र बढ़ने के पैटर्न या बायोमार्कर की पहचान करना है. डॉक्टरों के अनुसार, इस रिसर्च का पहला उद्देश्य उम्र बढ़ने के लिए इसकी स्टडी होगी, जो बाद के सालों में उम्र बढ़ने के साथ शरीर में क्या बदलाव होते हैं और लोग कैसे स्वस्थ रहकर लंबा जीवन जी सकते हैं
आनुवंशिक, शारीरिक और पर्यावरणीय कारकों के सूक्ष्म विश्लेषण के माध्यम से, शोधकर्ताओं का लक्ष्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया की जटिलताओं पर प्रकाश डालना, लक्षित हस्तक्षेप और व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल रणनीतियों का मार्ग प्रशस्त करना है. वृद्ध चिकित्सा विभाग में डॉ. प्रसून चटर्जी, जो नेशनल सेंटर फॉर एजिंग के चिकित्सा अधीक्षक हैं, उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य जैविक उम्र बढ़ने के लिए जिम्मेदार बायोमार्कर पैनल का अध्ययन करना, कालानुक्रमिक और जैविक उम्र बढ़ने के बीच संबंध का आकलन करना और इसका पता लगाना है. रोग और मृत्यु दर का पूर्वानुमान लगाने में बायोमार्कर पैनल की भूमिका.
डॉक्टर चटर्जी ने आगे बताया कि अगला कदम बुजुर्गों को तीन श्रेणियों में बांटना होगा - स्वस्थ, कमजोर और बहुत कमजोर. इसके लिए शोधकर्ता उन जीन, शरीर के अंदरूनी कामकाज और वातावरण से जुड़े संकेतों (बायोमार्कर पैनल) का इस्तेमाल करेंग, फिर, कम से कम 10 साल तक इन समूहों पर नजर रखी जाएगी. इस दौरान देखा जाएगा कि उन्हें कितनी बार अस्पताल जाना पड़ा, उनकी दैनिक क्रियाकलापों में कितनी कमी आई और उनकी मृत्यु दर क्या रही. साथ ही, उनके शरीर की जैविक घड़ी (उम्र मापने का एक नया टेस्ट) को भी जांचा जाएगा. First Updated : Monday, 20 May 2024