घर बसने से पहले ही PAK ने इंदिरा के आगे फैला लिए थे हाथ, क्या है जयगढ़ किले का पूरा किस्सा

Lok Sabha Election 2024: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भुट्टो ने इंदिरा गांधी के आदेश पर जयपुर के जयगढ़ किले में खोजे जा रहे खजाने में पाकिस्तान के हिस्से का दावा किया था.

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Lok Sabha Election 2024: 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार में सोना और मंगलसूत्र का एक ताजा मुद्दे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंदिरा गांधी ने 1976 में जयपुर के जयगढ़ किले में बड़े पैमाने पर खजाने की खोज का आदेश दिया था, जो पांच महीने तक चली थी? तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो ने इंदिरा को पत्र लिखा और जयपुर के खजाने में हिस्सेदारी का दावा किया. 

मंगलसूत्र का उठा मुद्दा

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मंगलसूत्र छीनने की योजना बनाई हैं, तो इस पर प्रियंका गांधी ने कहा कि उनकी मां ने अपना मंगलसूत्र देश के लिए दे दिया था. हालाँकि, यह भी सच है कि प्रियंका की दादी इंदिरा गांधी ने 1976 में राजमाता गायत्री देवी को हिरासत में लेने के बाद जयपुर के जयगढ़ किले में बड़े पैमाने पर खजाने की खोज का आदेश दिया था. 

पाकिस्तान तक पहुंची बात

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ख़ज़ाने की खोज इतनी ज़ोर-शोर से चल रही थी कि यह बात पाकिस्तान में भुट्टो तक पहुँच गई और उन्होंने एक ऐसे ख़ज़ाने पर इस्लामिक गणराज्य का दावा करने के बारे में सोचा जिसके बारे में उन्हें कभी पता नहीं था. खजाने की खोज इतनी बड़ी थी कि यह जयगढ़ किले में पांच महीने तक चलती रही. सेना, आयकर विभाग, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और स्थानीय पुलिस सभी लगे हुए थे.

पाकिस्तान से आया खत

यह अगस्त 1976 था, और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का साइन किया हुआ एक खत नई दिल्ली पहुंचा. यह खत भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए था. भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय सहयोग के बारे में कुछ बातें करने के बाद, रावलपिंडी का ये खत तुरंत एक खास मांग पर आ गया. उसमें जयपुर के किले के खजाने में हिस्सेदारी मांगी गई थी. 

जुल्फिकार अली भुट्टो ने खत में लिखा कि "मैं आपको उस खजाने के बारे में लिख रहा हूं जो आपकी सरकार के आदेश के तहत जयपुर में खोजा जा रहा है. मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप इस संपत्ति के उचित हिस्से पर पाकिस्तान के दावे के प्रति भी सचेत रहें.''

कहां से शुरू हुई जयगढ़ खजाने की कहानी?

जानकारी के मुताबिक, खजाने की खोज 1976 में आपातकाल के काले दिनों के दौरान सामने आई, उसकी उत्पत्ति वास्तव में कम से कम कुछ सौ साल पहले मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान हुई थी. साल 1581 में, अकबर ने अपने कमांडर-इन-चीफ जयपुर के राजा मान सिंह प्रथम को विद्रोही राज्यों और सरदारों को कुचलने के लिए उत्तर-पश्चिमी सीमा पर भेजा, और उन्हें आधुनिक अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों को मुगल शासन के तहत लाने का काम सौंपा.

इस अभियान के दौरान राजा मान सिंह को अफगानिस्तान में सोने का अकल्पनीय खजाना हाथ लगा और वह उसे वापस भारत ले आए और 16वीं शताब्दी के आमेर किले में छिपा दिया. ऐसा माना जाता है अकबर के प्रति अपनी वफादारी के बावजूद मान सिंह ने मुगल सम्राट को उस सोने के बारे में नहीं बताया था.

किले में छुपा रहा खजाना

ऐसे ही सालों बीत गए और माना जाता है कि खजाना अंबर किले की दीवारों के भीतर और गुप्त रूप से छिपा हुआ था. खजाने के बारे में सबसे पहले 'हफ्त तिलिस्मत-ए-अंबेरी' (अंबर के सात जादुई खजाने) नाम की किताब में आया था, जिसमें कहा गया था कि खजाने में मौजूद धन पीछे 'सागर' (पानी के टैंक) नामक स्थान पर था. 

सालों बाद, ब्रिटिश शासन के दौरान, औपनिवेशिक खोजकर्ताओं के हाथ भी यह किताब लगी और वे उत्सुक हो गए. उन्होंने खजाने का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. 

राजा मान सिंह द्वारा छिपाया गया खजाना वही था जिसके पीछे अंग्रेज थे, और बाद में इसी खजाने की इंदिरा गांधी ने भी यह खोज कराई.

First Updated : Friday, 03 May 2024