Kolkata News: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से पहले राजनीतिक दलों के बीच हलचल और तेज हो गई है. ऐसे में सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनावी जनसभा कर जनता के मत को साधने में लग गई हैं. इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी.आनंद बोस के खिलाफ एक महिला ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. जिसकी जांच के लिए पुलिस ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित गई है. जिसके बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. ऐसे में तृण मूल कांग्रेस (टीएमसी) के पूर्व सांसद राज्यसभा डॉ शांतनु सेन ने राष्ट्रपति से आरोप लगाने वाली महिला की मदद करने की अपील की है.
इस बीच मामले में राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन के कर्मचारियों को आदेश दिया है कि वे सब कोलकाता पुलिस द्वारा गठित एसईटी जांच के संबंध में किसी भी पुलिस कर्मी से बातचीत न करें और एसबी, आईबी या कोलकाता पुलिस को राजभवन में प्रवेश की इजाजत न दी जाए.
इस दौरान राज्यपाल सीवी आनंद बोस के इस आदेश के बाद टीएमसी के पूर्व सांसद राज्यसभा डॉ शांतनु सेन ने कहा है कि राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए कुछ संवैधानिक अधिकार हैं. मगर, वह कुर्सी के लिए हैं और न कि व्यक्ति के लिए. जब वो पद पर नहीं होंगे तब तो एक्शन होगा. एक महिला होने के नाते भारत की राष्ट्रपति को एक महिला को न्याय दिलाने में मदद करनी चाहिए.
पीड़ित महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसके साथ दो बार छेड़खानी की गई. मगर, राज्यपाल के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है. बता दें कि, राज्यपाल पद को संवैधानिक छूट मिली हुई, जिसके वजह से बोस को पद पर रहते हुए आपराधिक आरोपों का सामना नहीं करना पड़ेगा. इस शक्ति का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 361 दिया गया है.
अनुच्छेद 361 (2) के तहत, राष्ट्रपति या राज्यपाल के खिलाफ कार्यकाल के दौरान अदालत में कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी या जारी नहीं रखी जाएगी. राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल की गिरफ्तारी या कारावास की कोई प्रक्रिया कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत से जारी नहीं की जाएगी. यही वजह है कि बोस के मामले में जांच तो शुरू हो गई है लेकिन केस नहीं दर्ज हुआ है. First Updated : Monday, 06 May 2024