Jharkhand Election Results: झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने एक बार फिर से सत्ता में वापसी करते हुए इतिहास रच दिया है. झारखंड के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि कोई पार्टी इतने मजबूत बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में लौटी है. हेमंत सोरेन का यह रिकॉर्ड-प्रदर्शन कई कारणों की वजह से संभव हुआ. तो आइए जानते हैं, उन 5 अहम कारणों को जिनकी वजह से हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी हुई है और करने में असफल रही.
बीजेपी के पास स्थानीय स्तर पर एक मजबूत मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं था. बीजेपी के संभावित दावेदार बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन दोनों ही दलबदलू छवि के कारण लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाए. एक्ज़िट पोल में हेमंत सोरेन को 41% लोगों का समर्थन मिला, जबकि चंपई को सिर्फ 7% और मरांडी को 13% मिला है. हेमंत सोरेन की लोकप्रियता बीजेपी के नेताओं पर भारी पड़ी.
हेमंत सोरेन ने महिलाओं को विशेष योजनाओं के जरिए अपनी तरफ आकर्षित किया. मईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं के खातों में 1000 रुपए प्रतिमाह डाले गए. हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन ने चुनाव प्रचार के दौरान 100 से ज्यादा रैलियां कीं, जिनमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली. इस बार महिलाओं ने पिछले चुनाव की तुलना में 4% ज्यादा मतदान किया, जिसका सीधा फायदा हेमंत गठबंधन को हुआ.
झारखंड में आदिवासी बहुल इलाकों में हेमंत सोरेन ने एकतरफा जीत दर्ज की. आदिवासी अस्मिता, खतियानी, और आरक्षण जैसे मुद्दों पर बीजेपी को घेरकर सोरेन ने आदिवासियों का समर्थन हासिल किया. हेमंत ने यह संदेश देने में सफलता पाई कि बीजेपी के कारण उन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया गया. आदिवासियों के गुस्से और असंतोष का फायदा सोरेन को मिला.
कुड़मी वोटर्स झारखंड की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस बार जयराम महतो के मैदान में उतरने से यह वोट बैंक विभाजित हो गया. बीजेपी का पारंपरिक सहयोगी आजसू पार्टी भी कुड़मी वोटर्स को एकजुट रखने में असफल रही. कोल्हान और कोयलांचल इलाकों में कुड़मी वोटर्स का छिटकना बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित हुआ.
बीजेपी के कई प्रमुख नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हारते नजर आए. बोकारो से बिरंची नारायण देवघर से नारायण दास, और गोड्डा से अमित मंडल जैसे बड़े नाम पीछे चल रहे हैं. यहां तक कि जगन्नाथपुर से मधु कोड़ा की पत्नी भी हारती नजर आईं. बड़े नेताओं का कमजोर प्रदर्शन बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित हुआ. First Updated : Saturday, 23 November 2024